इजरायल और हमास के बीच युद्ध रुकना भारत के हित में भी।
- केरल में हमास के समर्थन में रैली हुई। इस रैली में बुलडोजर हिन्दुत्व और रंगभेदी यहूदीवाद को उखाड़ फेंकने के नारे लगे।
दुनिया के किसी भी हिस्से में जब मुस्लिम समुदाय को लेकर घटना होती है तो उसका सीधा असर भारत पर पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह है कि दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश से ज्यादा आबादी भारत में रहने वाले मुसलमानों की है। भारत में करीब 25 करोड़ मुसलमान होने का अनुमान है। यही वजह है कि पिछले 25 दिनों से इजरायल और कट्टरपंथी संगठन हमास के बीच जो हिंसक युद्ध चल रहा है उसका असर भी भारत पर है। भारत के आंतरिक हालातों को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अक्टूबर को ही इजरायल के पड़ोसी मुस्लिम देश मिश्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी से फोन पर बात कर युद्ध को रुकवाने की पहल की। पीएम मोदी पहले भी फिलिस्तीन की संप्रभुता का समर्थन कर चुके हैं। यह बात अलग है कि 28 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में इजरायल को लेकर जो प्रस्ताव रखा उसमें भारत ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। भारत अपनी विदेश नीति के तहत इजरायल और हमास के बीच युद्ध को समाप्त करवाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इधर भारत में इस युद्ध को लेकर माहौल लगातार गर्म हो रहा है। मुस्लिम बाहुल्य केरल में 28 अक्टूबर को ही जमाए-ए-इस्लामी की यूथ विंग सोलिडैरिटी मूवमेंट की ओर से एक रैली निकाली गई। इस रैली को हमास के नेता खालिद मशाल ने वर्चुअल संबोधित किया। हमास नेता ने इजरायल की जमकर निंदा की, लेकिन इस रैली में बुलडोजर हिंदुत्व और रंगभेदी यहूदीवाद को उखाड़ फेंकने के नारे भी लगे। सवाल उठता है कि जो युद्ध विदेशी धरती पर लड़ा जा रहा है, उसमें भारत की धरती पर हिंदुत्व को निशाने पर क्यों लिया जा रहा है? जब दुनिया भर के मुसलमान यह मानते हैं कि भारत में मुसलमान सम्मान और शांति के साथ रहता है, तब केरल की रैली में गैर जिम्मेदाराना नारे क्यों लग रहे हैं? मौजूदा समय में केरल में वामपंथी दलों के गठबंधन वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीफी) की सरकार है, जिसका नेतृत्व पिनराई विजयन कर रहे हैं। जब हमास के समर्थन में हुई रैली में ऐसे नारे लग रहे हैं तब विजयन सरकार पर भी सवाल खड़े होते हैं। गंभीर बात यह है कि इस रैली को लेकर अभी तक भी विजयन सरकार की ओर से कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई गई है। वाममोर्चे की सरकार में जो दल शामिल हैं, वे इंडिया गठबंधन के सदस्य भी हैं। एक तरफ इंडिया गठबंधन बनाकर देश को मजबूत करने के दावे किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ इसी गठबंधन से जुड़े दल की सरकार के शासन में हिंदुत्व को निशाना बनाया जा रहा है। केरल में हुई रैली पर कांग्रेस की चुप्पी भी आश्चर्यजनक है। यूएन की महासभा में भारत के वोट न देने पर कांग्रेस मोदी सरकार की आलोचना तो कर रही है, लेकिन केरल में हुई रैली पर चुप है। जो रैली केरल में हुई वैसी रेलिया देश के अन्य क्षेत्रों में भी हो सकती है। देश की अनेक मस्जिदों में हमास के समर्थन में तकरीर हो रही है। गाजा पट्टी पर मानवीय मूल्यों की रक्षा हो इस पर कोई एतराज नहीं है लेकिन जिस तरह इजरायल के 1500 नागरिकों को बेरहमी से मार दिया गया, उस कृत्य की भी निंदा होनी चाहिए। पूर्व में हुए समझौते में 74 किलोमीटर लंबी पट्टी फिलीस्तीन को इसलिए दी गई ताकि शांति बनी रहे। लेकिन इस भूभाग का उपयोग कट्टरपंथियों ने इजरायल को सबक सिखाने के लिए किया। आज गाजा पट्टी में उन लोगों का कब्जा है, जो इजरायल से लड़ने की ताकत रखते हैं। भारत न केवल युद्ध विराम का प्रयास कर रहा है बल्कि गाजा में फंसे लोगों को राहत सामग्री भी भिजवा रहा है। केरल में भले ही कुछ लोग रैली निकाल कर हिंदुत्व पर हमला करे, लेकिन पीएम मोदी का प्रयास है कि युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करवाया जाए।