हनुमान बेनीवाल
बेबाक वक्ता व कद्दावर नेता एवं नागौर सांसद
अपने भाषणों में बेखौफ और बेबाक बोलने के लिए मशहूर वर्तमान सत्र में लोकसभा में संसद सदस्य के रूप में कार्यरत श्री हनुमान बेनीवाल जी हाँ, हम बात कर रहे हैं राजस्थान में तीसरे सबसे बड़े मोर्चे के रूप में स्थापित हुई राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल के बारे में जो आए दिन अपनी बात बेबाक तरीके से रखने के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं और जन समस्याओं को भी संसद में पूरी निडरता के साथ रखकर उनके समाधान कराने तक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले हनुमान जी की।
जीवन परिचय
हनुमान बेनीवाल का जन्म 2 मार्च 1972 को राजस्थान के नागौर जिले के बरनगाँव में रामदेव जी और मोहनी देवी के घर हुआ।
इनके पिता रामदेव चौधरी जी मूंडवा से तीन बार विधायक रहे चुके हैं इनका पैतृक गांव बरणगाँव है। उनकी धर्मपत्नी एवं एक बेटा और बेटी के रूप में भरा पूरा परिवार है।
प्रारंभिक शिक्षा अपने पैतृक गांव से ही की, उसके बाद उच्च स्तरीय शिक्षा अपने जिले से प्राप्त की। इसके बाद आगे की शिक्षा वर्ष 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से कला वर्ग से स्नातक की डिग्री प्राप्त के रूप में की एवं वर्ष 1998 में एलएलबी।
कृषक व राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले बेनीवाल ने अपने आसपास के जीवन को शुरू से ही बड़ी बारीकी से अवलोकन किया और इसी दिशा में आगे बढ़ने को लेकर शिक्षा,दीक्षा ग्रहण की। साथ ही, जनचेतना से जुड़ना आरंभ किया। ऐसा इसलिए भी उनके साथ हुआ क्योंकि उनके पिताजी जो कि क्षेत्र के 3 बार विधायक रह चुके हैं इसलिए उनको राजनीतिक चेतना विरासत में मिली। अपने छात्र जीवन से ही वह लोकप्रिय छात्र नेता के रूप में उभरे और अपनी छवि के अनुकूल वह किसानों और दबे कुचले हुए जनमानस के जीवन को बेहतर करने की दिशा में निरंतर विभिन्न गतिविधियों से जुड़ते रहे और अपने कॅरियर को राजनीतिक जीवन के रूप में देखते हुए इस दिशा में कार्य करने लगे।
उनकी शुरुआत छात्र नेता के रूप में हो चुकी थी। वर्ष 1997 में छात्र नेता के रूप में छात्र हितों के लिए समय-समय पर आवाज उठाकर उनकी मांगों को पूरा करके अपनी जिम्मेदारी निभाने वाले लोकप्रिय नेता के रूप में भी स्थापित हो चुके थे।
राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने छात्र हितों के लिए 5% अतिरिक्त अंक की मांग की और सरकार पर जबरदस्त दबाव डालने के बाद उनकी मांगों को मंजूर किया गया जिसके परिणाम स्वरुप उस वर्ष 8000 स्टूडेंट के आवेदन अधिक आएं
अब समय के साथ उनका यह कारवां आगे बढ़ा और वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत मानी जाती है, मूंडवा से उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आवेदन किया उस समय उनके प्रतिद्वंदी उषा पूनिया थी उस वक्त उनके चुनाव प्रचार के लिए फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र भी आए थे लेकिन चुनावी नतीजों में बेनीवाल को 2000 मतों से हार का सामना करना पड़ा मगर वह इस हार से बहुत कुछ सीखे और 2008 के चुनावी सफर में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की ओर से टिकट दिया गया। जिससे भारी बहुमत के साथ विधायक के रुप में विधानसभा पहुंचे। एक बार फिर से वर्ष 2008 में ही उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी बसपा उम्मीदवार को 24443 वोटों से भी हराया था।
अब बेनीवाल का राजनीतिक कॅरियर परवान पर था और वह जाट बहुल के सशक्त नेता के रूप में अपनी छवि बना चुके थे इसी दौरान बेनीवाल को 2013 में भारतीय जनता पार्टी को त्यागना पड़ा।
इसके बाद वर्ष 2013 में वह एक निर्दलीय उम्मीदवार थे और बीजेपी की आंधी व मोदी लहर के बीच एक निर्दलीय उम्मीदवार होने के बावजूद जनता का अपार समर्थन उन्हें मिला और उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार को 23020 मतों से हराया।
राष्ट्रीय लोकतंत्र पार्टी की स्थापना
◆ 29 अक्टूबर,2018 को जयपुर में "बोतल" के चुनाव चिन्ह के साथ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी नामक एक राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की।
◆ वर्तमान में बेनीवाल द्वारा स्थापित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को प्रदेश की तीसरी मुख्य पार्टी और बेनीवाल को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
छात्र आंदोलन व अन्य महत्वपूर्ण आंदोलन में अहम भूमिका
◆ राजस्थान विश्वविद्यालय भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने 2015 में राजस्थान विश्वविद्यालय में "अत्यधिक क्रूरता" के लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
◆ बेनीवाल पर हमले का विरोध कर रहे छात्रों के एक समूह पर पुलिस द्वारा आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद आंदोलन आयोजित किया गया था। जब पुलिस ने आरोप लगाया तब छात्र शांतिपूर्ण रैली का आयोजन कर रहे थे। एनएसयूआई के कई छात्र घायल हो गए। एनएसयूआई कार्यालय पर छापा मारा गया।
◆ बेनीवाल पर कथित हमले के विरोध में किसान युवा आक्रोश रैली के बैनर तले लगभग 500 छात्र इकट्ठे हुए थे। जुलूस हिंसक हो गया जब पुलिस ने उन्हें कैंपस में रोकने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप छात्रों ने पथराव किया।
◆ पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। इससे तोड़फोड़ और अराजकता फैल गई, जिसमें 30 छात्र और 18 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
◆ बेनीवाल ने कैबिनेट मंत्री यूनुस खान पर कथित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को 2013 में विधानसभा चुनाव जीतने में मदद करने के बाद कथित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को पुलिस हिरासत से भागने में मदद करने का आरोप लगाया। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की।
◆ विधानसभा विरोध
25 अप्रैल 2017 को, स्पीकर कैलाश मेघवाल द्वारा बेनीवाल के सवालों को रद्द कर दिए जाने के बाद, क्योंकि वे तीन अलग-अलग विभागों से संबंधित थे, बेनीवाल ने वेल में जाकर और उनके कागजात को फाड़कर स्पीकर के खिलाफ विरोध किया, संसद मामलों के मंत्री राजेंद्र राठौर की आलोचना की और अपना वक्तव्य दिया।
◆ किसान विरोध:
2020 में, बेनीवाल किसान बिलों के विरोध में शामिल हुए, इसे 'किसान विरोधी' कहा।
◆ उन्होंने आगे कहा कि अगर वे लोकसभा में उपस्थित होते, तो वे कृषि बिलों को फाड़ देते।
हनुमान जी जुड़ी हुई अन्य महत्त्वपूर्ण
◆ जातिवाद की राजनीती की बजाय सम्पूर्ण राजस्थान में पिछड़े व किसानों की आवाज बनकर सामने आ रहे हनुमान बेनीवाल को राज्य में तीसरा मोर्चा बनाने का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.।
◆ हनुमान बेनीवाल एक बार लोकसभा का चुनाव भी लड़े, जिनमें उन्हें 2 लाख लोगों ने समर्थन दिया. 2013 से 2018 के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इन्होने राजस्थान के किसानों व मजदूरों के हितों की कई बार सदन में आवाज बुलंद की तथा सरकार द्वारा अपनी मांगे मनवाने के लिए विधानसभा घेराव भी किया.
◆भाजपा और रालोपा में हुआ गठबंधन:राजस्थान में विधानसभा 2018 के चुनावों के बाद राज्य के जाट बहुल क्षेत्रों में भाजपा को बेहद कम समर्थन मिला था, इसका कारण यहाँ के रालोपा प्रत्याशियों द्वारा मत विभाजन था.
◆ भारतीय जनता पार्टी की राज्य एवं केन्द्रीय कमान अपनी इस गलती को समज चुकी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह यह रिस्क लेना नहीं चाहती थी. यही वजह थी कि जाट बेल्ट में समर्थन के लिए हनुमान बेनीवाल की रालोपा से समर्थन के लिए हाथ बढ़ाया और बीजेपी के लिए यह फायदे का सौदा साबित हुआ.
◆ शाह चाहते थे रालोपा का भाजपा में विलय 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बेनीवाल और उनकी रालोपा की ताकत का अंदाजा लगा चुके थे.
◆राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चाहते थे कि रालोपा का भाजपा में विलय हो जाए तथा बेनीवाल स्वयं चुनाव लड़े. मगर बेनीवाल ने आखिर गठबंधन कर स्वयं नागौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय किया और बड़े अंतर से जीत दर्ज कर संसद पहुंचे.
न केवल उन्होंने नागौर सीट पर विजय श्री पाई बल्कि जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को हराने में भी बेनीवाल का अहम योगदान रहा .
◆ लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिला फायदा 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे बेनीवाल और भाजपा की आशा के अनुरूप ही रहे. एनडीए के सभी 25 सांसद विजयी रहे,
◆जिनमें 24 भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार एवं नागौर सीट से रालोपा के चिह्न पर बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा पर विजय हासिल की.
◆लोकसभा चुनाव 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की अभूतपूर्व जीत पर सांसद हनुमान बेनीवाल ने उन्हें गुलदस्ता देकर बधाई दी, मोदी ने भी पीठ थपथपाकर उन्हें आशीर्वाद दिया.
◆ बेनीवाल ने संसद में मोदी सरकार के देशहित के कामों धारा 370, तीन तलाक जैसे मुद्दों पर खुलकर प्रशंसा की तथा कांग्रेस को हमेशा हास्यं का विषय बनाते रहे.
अपने लोकसभा क्षेत्र के अतिरिक्त बेनीवाल ने संसद में राज्य के अन्य क्षेत्रों की समस्याओं एवं मुद्दों को हमेशा प्रमुखता दी हैं.
◆राज्य में टिड्डी द्वारा हुए फसलों के नुकसान पर किसानों के मुआवजे को लेकर सरकार ने उनकी मांग पर ही किसानों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया हैं। हुंकार रैली से अपनी नई पार्ट
◆राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी, भारत युवा वाहिनी के घनश्याम तिवाड़ी तथा राजस्थान में समाजवादी पार्टी के साथ वे तीसरे मौर्चे का चुनाव लड़ेगे.
◆कांग्रेस एवं बीजेपी जैसे बड़े राजनैतिक दलों को अपने शक्ति प्रदर्शन से खुली चुनौती देने वाले हनुमान बेनीवाल का अगला बड़ा हमला राजधानी जयपुर में होने जा रहा हैं।