किसानों को खेती के गुर सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन।

किसानों को खेती के गुर सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन।
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◆ हाल में बदलते समय के साथ किसानों को भी इससे अपग्रेड करने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर राज्य में जलवायु अनुकूल खेती को लेकर किसानों को प्रशिक्षण दे रहा है।

◆  इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य है कि वे कृषि विज्ञान केंद्र के अंतर्गत जिले के 500 किसानों को कम लागत वाली मशीनों के बारे में जानकारी दें।

◆ इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत अभी तक अभी 40 किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है। 

◆ किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि में प्रयोग की जाने वाली मशीनें- जीरो टिलेज, मल्टी क्रॉप, लेजर लैंड लेवलर तथा कंबाइन हार्वेस्टर के संचालन व रखरखाव की जानकारी दी भी जा रही है।

◆ कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि अभियंत्रक पंकज कुमार के ने बताया कि कम लागत में बेहतर खेती की जानकारी जिले के सभी किसानों को दी जाएगी, ताकि किसानों की फसल की कटाई एवं बुआई करने में आसानी हो। 

◆ सीड ड्रिल मशीन से खेत की बिना जुताई किए सीधी बुआई कर दी जाती है। 

◆ जीरो टिलेज से कम खर्चे में ज्यादा उत्पादन हो सकता है।

◆  मल्टीक्राप मशीन से फसलों की कटाई व दानों को साफ किया जाता है।

◆  लेजर लैंड लेवलर से भूमि समतल किया जाता है। इससे धान की रोपाई के लिए खेत तैयार करने में आसानी होती है।

इन सभी उपकरणों व इन से होने वाले फायदे जो ऊपर वर्णित हैं इसके बारे में पूर्ण रूप से किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वह अपनी उत्पादन क्षमता और कौशल क्षमता दोनों को बढ़ा सकें और पर्याप्त जानकारी के आधार पर वह अपने फसलों को किस प्रकार से बचा सकते हैं और कैसे उनको और अधिक बेहतर ढंग से उत्पादित कर सकते हैं इसकी भी विशेष जानकारी दी जा रही है ताकि किसान भाई भारत की जलवायु के अनुकूल खेती कर सके और उस से होने वाले फायदे और नुकसान दोनों को बेहतर ढंग से समझ सके।

 निष्कर्ष: किसान भाइयों को प्रशिक्षित करने का है यह अभियान बहुत ही बेहतर पहल है जिससे किसान और को कौशलवान बनेगा और अपनी उत्पादन क्षमता को भारत की जलवायु के अनुकूल बड़ा सकेगा। इस प्रकार की पहल निश्चित तौर पर सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी और बदलते समय के साथ किसान भाइयों को भी उनके अनुकूल बनाने वाली यह पहल बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी