राजस्थान के स्कूलों में इस साल नहीं लगेगी पहली कक्षा, यह है बड़ी वजह
नई शिक्षा नीति के धरातल पर आने के साथ ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की चिन्ता स्कूल खुलने से पहले ही शुरू हो गई है। दरअसल, प्रांरभिक शिक्षा विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इसके तहत बच्चों के दाखिले के लिए आयु सीमा तय की गई है। नई शिक्षा नीति के अनुसार तीन से आठ साल की आयु तक नौनिहाल को फाउंडेशन स्टेज में रखा जाएगा। ऐसे में तीन से छह साल तक नौनिहालों की पढ़ाई बाल वाटिका के साथ प्रथम और द्वितीय की कक्षाएं आंगनबाड़ी में संचालित होगी। शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश की 3300 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बाल वाटिकाएं शुरू कर दी गई है। लेकिन, प्रदेश की 62 हजार सरकारी स्कूलों में अब तक बाल वाटिकाएं शुरू नहीं हो सकी है
दाखिले में यह बदली व्यवस्था
पिछले सत्र तक पांच साल के बच्चे का प्रवेश पहली कक्षा में होता था। लेकिन, इस साल नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के तहत कक्षा एक में छह साल के बच्चे को ही दाखिला मिल सकेगा। पांच वर्ष पूर्ण कर चुके सभी बच्चों का प्रवेश सत्र 2023-24 में हो चुका है। अब वह छह साल के हो गए और दूसरी कक्षा में आ गए। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे इस सत्र में पांच वर्ष पूरे करेंगे। ऐसे में पहली कक्षा का संचालन नहीं होगा। इस साल पहली कक्षा नहीं होगी तो अगली साल दूसरी कक्षा भी नहीं चलेगी, यह क्रम आगे तक चलता रहेगा। इधर प्रदेश में अगले महीने स्कूलों के शुरू होने के साथ ही नामांकन अभियान शुरू होना है। हर सरकारी विद्यालय में औसतन दस से पन्द्रह नए दाखिले पहली कक्षा में होते हैं। आयु सीमा के फेर की वजह से नामांकन का गणित बिगडऩे की आशंका है। इससे प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आठ से दस लाख तक नामांकन कम हो सकता है। इससे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में भी चिंता है