केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में तपेदिक को समाप्त करने के लिए सतत प्रयास, तेजी और नवाचार विषय पर मंत्रिस्तरीय बैठक में मुख्य भाषण दिया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के भीतर तपेदिक(टीबी) का उन्मूलन करने के लिए सामूहिक एवं सहयोगात्मक प्रयास अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होंगे। डॉ. मनसुख मांडविया आज गांधीनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस की सह-अध्यक्षता में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में तपेदिक को समाप्त करने के लिए सतत प्रयास, तेजी और नवाचार विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक में मुख्य भाषण दे रहे थे। उनके साथ आज इस कार्यक्रम में यूरोप के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हंस हेनरी क्लूज और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन की निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह भी शामिल हुईं।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। इनमें महामहिम श्री जाहिद मलिक, माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, बांग्लादेश; महामहिम सुश्री ल्योनपो डेचेन वांग्मो, माननीय स्वास्थ्य मंत्री, भूटान; महामहिम सुश्री सफिया मोहम्मद सईद, माननीय स्वास्थ्य उप मंत्री, मालदीव; महामहिम श्री मोहन बहादुर बस्नेत, नेपाल के माननीय स्वास्थ्य व जनसंख्या मंत्री और श्रीलंका के माननीय स्वास्थ्य मंत्री महामहिम डॉ. केहेलिया रामबुकवेला शामिल थे। इस कार्यक्रम में इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री श्री बुदी जी सादिकिन द्वारा रिकॉर्ड किया गया संदेश वर्चुअल माध्यम से साझा किया गया। तिमोर-लेस्ते की स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक सुश्री ड्रा ओडेते दा सिल्वा वीगास, सुश्री फ्रेंकोइस वन्नी, डायरेक्टर ऑफ एक्सटर्नल रिलेशंस एंड कम्युनिकेशन, ग्लोबल फंड ने भी हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य मंत्रियों और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संयुक्त घोषणा-पत्र अर्थात गांधीनगर घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई। घोषणा-पत्र के माध्यम से इस बात से अवगत कराया गया है कि लगातार प्रगति के बावजूद, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र 26 सितंबर 2018 को न्यूयॉर्क में तपेदिक पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक (यूएनएचएलएम-टीबी) के दौरान की गई राजनीतिक प्रतिबद्धता के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र क्षय रोग उन्मूलन रणनीति के 2020 के उद्देश्य को पूरा करने और 2022 कवरेज लक्ष्य से चूक गया है। यह विश्वास व्यक्त किया गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन भागीदारों, हितधारकों एवं समुदायों के सहयोग के साथ सभी सदस्य देशों द्वारा सही दिशा में निरंतर, ठोस व सहकार्यात्मक उपायों के माध्यम से 2030 तक तपेदिक को समाप्त करने में सक्षम होगा। गांधीनगर घोषणापत्र तपेदिक के खिलाफ सामुदायिक दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए सदस्य देशों द्वारा की गई कार्रवाई व पहल की सराहना करता है, जैसे कि व्यक्तियों एवं समूहों द्वारा रोगियों को पोषण संबंधी सहायता, परिवार-केंद्रित देखभाल और रोगियों को आहार तथा उपचार-संबंधी परिवहन के लिए वित्तीय सहायता, जो बेहतर परिणामों की दिशा में प्रगति को गति देती है और इसके दुष्प्रचार को भी कम करती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले ही 2025 तक देश से तपेदिक को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। डॉ. मांडविया ने कहा कि महामारी के अध्ययन से पता चलता है, सहयोगात्मक प्रयास, निदान की रोकथाम के लिए समान पहुंच और उपचार के विकल्प तपेदिक को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आगे विस्तार से बताते हुए कहा कि समाज में तपेदिक के प्रति प्रचारित कलंक को दूर करते हुए भारत इस रोग से पीड़ित सभी व्यक्तियों को रोगी-केंद्रित सहायता प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि भारत ने स्थानीय साक्ष्यों का उपयोग करके तपेदिक के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए अपना स्वयं का गणितीय मॉडल विकसित किया है और डेटा-संचालित निर्णयों की शक्ति का लाभ उठाया है। उन्होंने बताया कि भारत ने अपने समर्पित प्रयासों के माध्यम से वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2015 से 2022 तक तपेदिक की बीमारी में 13% की कमी और मृत्यु दर में 15% की क्षति हासिल की है। डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि निजी क्षेत्र की बढ़ती हुई भागीदारी और दीर्घकालीन मॉडल के माध्यम से पिछले दशक में तपेदिक के मामलों में 7 गुना तक सुधार हुआ है।उन्होंने हाल ही में प्रकाशित 'आरएटीओएन' ट्रेल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह तपेदिक की मृत्यु दर के साथ-साथ बीमारी की घटनाओं को कम करने में पोषक तत्वों के महत्व को रेखांकित करता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने तपेदिक को खत्म करने और दुष्प्रचार से निपटने के अपने मिशन में परिवार-केंद्रित देखभाल मॉडल को लागू करने के उपायों के बारे में बताया, जो तपेदिक के रोगियों को अतिरिक्त पोषण, निदान और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री तपेदिक मुक्त भारत अभियान के तहत 'नि-क्षय मित्र' के रूप में जाना जाने वाला अपनी तरह का पहला सामुदायिक जुड़ाव तंत्र है। उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से तपेदिक रोग का इलाज करा रहे लोगों को मासिक पोषण सहायता प्रदान करने के लिए नि-क्षय पोषण योजना पहल को भी इसमें जोड़ कर बताया। इसने सफलतापूर्वक 75 लाख टीबी रोगियों को उनके संबंधित बैंक खातों में 244 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि प्रदान की है।
इस अवसर पर डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने तपेदिक से निपटने के लिए भारत की प्रगति और इसके प्रयासों की सराहना की। डॉ. घेब्रेयसस ने कहा कि मैं तपेदिक को खत्म करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के नेतृत्व की प्रशंसा करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं तपेदिक रोग को समाप्त करने के लिए भारत के नवोन्मेषी दृष्टिकोण, बहु-क्षेत्रीय साझेदारी प्रयासों और वित्तीय सहायता की सराहना करता हूं क्योंकि इससे अन्य देशों को प्रेरणा मिली है। डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने इस बात पर बल दिया कि कोविड महामारी जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने कई देशों में हासिल की गई प्रगति को उलट कर रख दिया है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि 2030 तक तपेदिक को समाप्त करने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी लगता है, लेकिन यह अभी भी प्राप्त करने योग्य है। डॉ. घेब्रेयसस ने कहा कि हमारे पास नए और शक्तिशाली उपकरण हैं, जो परीक्षण के समय को कम करते हैं और ये तपेदिक के रोगियों के उपचार और देखभाल में परिवर्तनकारी हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री सुधांश पंत ने तपेदिक रोग से निपटने के लिए भारत में अब तक लागू की गई सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को साझा किया। उन्होंने आगे बढ़ने के उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि "इलाज से अधिक रोकथाम पर लगातार हमारा ध्यान बढ़ रहा है। सचिव ने बताया कि इन उपायों में अग्रणी रोकथाम गतिविधियों का विस्तार है, इसके बाद सामुदायिक सहयोग और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत टीबी सेवाएं शामिल हैं। सुधांश पंत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके प्रौद्योगिकी के उपयोग, नई साक्ष्य-आधारित दवाओं एवं निदान को अपनाने और कार्यक्रम संचालन में नवाचार को आगे बढ़ाने की सिफारिश की।
सभा को संबोधित करते हुए डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने तपेदिक सेवा कवरेज लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त व टिकाऊ घरेलू संसाधनों को आवंटित करने पर जोर दिया, जो पहले से ही हासिल की गई पर्याप्त वृद्धि पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमें टीबी प्रभावित समुदायों को शामिल करना चाहिए और उन्हें सशक्त बनाना जारी रखना चाहिए। हमें न केवल उनकी समस्या को सुनना ही चाहिए बल्कि वास्तव में उन्हें समझना भी चाहिए। डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि नए टीबी उपकरणों, प्रौद्योगिकियों तथा उपचार व्यवस्थाओं तक सभी की सक्रिय रूप से पहुंच में तेजी लाना जरूरी है, विशेषकर जो आबादी-केंद्रित हैं और जिन्हें समुदाय के भीतर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर ही वितरित किया जाता है। उन्होंने अपनी बातचीत में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के दृष्टिकोण को शामिल किया, जहां पर टीबी अब एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या नहीं है। डॉ. पूनम ने कहा कि लाखों लोगों को बीमारी, मृत्यु, गरीबी और निराशा से निकालने के लिए उच्चतम स्तर की राजनीतिक व परिचालन प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी। इसके बाद उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि मैं हरेक देश के नेताओं से तपेदिक पर एक उच्च-स्तरीय बहुक्षेत्रीय आयोग स्थापित करने का आग्रह करती हूं, जो स्वास्थ्य प्रणालियों को लचीला बनाने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज तथा स्वास्थ्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि हम सब मिलकर एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और हमें इतिहास को अपनी इच्छानुसार आकार देते हुए गति में तेजी नहीं लानी चाहिए। आइए हम इस क्षण का लाभ उठाएं; आइए हम सब मिलकर क्षय रोग को समाप्त करें।
डॉ. हंस हेनरी क्लूज ने टीबी के उपचार की परिवर्तनकारी प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि यह एक क्रांति है और अब हमारे पास एक उपचार पद्धति है जो परीक्षण के समय को तीन दिन से घटाकर दो घंटे कर देती है तथा हमारे पास ऐसी उपचार पद्धति है, उपचार के समय को अठारह महीने से घटाकर छह महीने तक सीमित कर देती है।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव व मिशन निदेशक (एनएचएम) लामचोंगहोई स्वीटी चांगसन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विशाल चौहान, सरकारी अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी, स्वास्थ्य संगठनों तथा कुछ एजेंसियों के प्रमुख (एडीबी, गेट्स फाउंडेशन, एड्स टीबी मलेरिया से लड़ने के लिए ग्लोबल फंड, जेएटीए, स्टॉप टीबी पार्टनरशिप, द यूनियन, यूएनएड्स, यूनिटैड, विश्व बैंक व अन्य), शिक्षाविद, नागरिक समाज संगठन तथा ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमरीका जैसे साझेदार देशों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।