भारी उद्योग मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा पर सम्मेलन आयोजित किया
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने आज यहां विज्ञान भवन में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। यह समीक्षा अपने मुख्य उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में सीपीएसई के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए मंत्रालय के जारी प्रयासों का हिस्सा है। सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने की। भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर, मंत्रालय के तहत सीपीएसई के सीएमडी और एमएचआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने इस अवसर पर अपने मुख्य भाषण में कहा कि वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा हमारे सीपीएसई की प्रगति और उपलब्धियों का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि ये उद्यम प्रभावी ढंग से और कुशलता से काम करें तथा यह समीक्षा उनके कार्य प्रदर्शन में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि भारी उद्योग मंत्रालय पर इंजीनियरिंग और ऑटोमोटिव सेक्टर के क्षेत्र में माननीय प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने का दायित्व है। भारत आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। माननीय प्रधानमंत्री ने अगले कुछ वर्षों में इसे शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने का लक्ष्य तय किया है और भारी उद्योग इस उद्देश्य की दिशा में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
भारी उद्योग मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में मुख्य रूप से ऑटोमोटिव सेक्टर, इंजीनियरिंग, भारी विद्युत और पूंजीगत सामान क्षेत्र शामिल हैं। जहां तक भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसई का प्रश्न है यह घरेलू नमक, चाय, घड़ियां, सीमेंट, कागज़ बनाने से लेकर अवसंरचना परियोजनाओं तक के काम का एक विशाल क्षेत्र है। भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत महारत्न कंपनी बीएचईएल (भेल) विद्युत, परिवहन, रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करती है।
भारी उद्योग मंत्रालय अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की खोज में सीपीएसई का भी समर्थन कर रहा है। एक ओर सीमेंट कॉरपोरेशन (इंडिया) लिमिटेड जैसी कंपनियों ने उत्सर्जन को कम करने के लिए एफजीडी सिस्टम स्थापित किए हैं और दूसरी ओर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) ने मंत्रालय के सहयोग से ताप विद्युत संयंत्रों की दक्षता बढ़ाने के लिए उन्नत अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल (एयूएससी) तकनीक विकसित की है। यह तकनीक देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कम कोयले से अधिक बिजली का उत्पादन करेगी।
कार्य प्रदर्शन की समीक्षा समझौता ज्ञापन (एमओयू) मूल्यांकन प्रणाली का उपयोग करके आयोजित की गई थी, जो कंपनी के घोषित लक्ष्यों और उद्देश्यों के संबंध में उसके प्रदर्शन को दिखाता है। समझौता ज्ञापन मूल्यांकन ने सीपीएसई को परिणाम प्राप्त करने पर फोकस करने में सहायता की है और उन्हें राष्ट्र की प्राथमिकताओं के साथ अपने प्रयासों को बेहतर ढंग से संरेखित करने में सक्षम बनाया है।
समीक्षा के परिणामों का उपयोग विविधीकरण सहित सीपीएसई के लिए भविष्य में निर्णय लेने और रणनीतिक योजना बनाने में किया जाएगा। उनके कार्य प्रदर्शन का नियमित मूल्यांकन करके मंत्रालय उन क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम है जहां सुधार किया जा सकता है और आने वाले किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए समय पर कार्रवाई कर सकता है।
मंत्रालय कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के अतिरिक्त वृद्धि और विकास का समर्थन करने के लिए सीपीएसई के साथ मिलकर भी काम करता है। इसमें प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन के अनुरूप स्वदेशीकरण जैसे प्रमुख मुद्दों पर मार्गदर्शन और समर्थन देना तथा भारत को वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र बनाने में समर्थन प्रदान करना शामिल है।
सीपीएसई के लिए प्रधानमंत्री का मंत्र, "परफॉर्म, रिफॉर्म और ट्रांसफॉर्म" इस लक्ष्य की याद दिलाता है। कार्यप्रदर्शन पर फोकस करके, जहां आवश्यक हो वहां सुधार करके तथा अपने परिचालन में बदलाव करके सीपीएसई भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रख सकते हैं।