ज्ञान, कर्तव्य और सत्य के खजाने के रूप में काशी को जाना जाता है और यह वास्तव में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो लिंक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित जी-20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने वाराणसी में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और इस बात पर खुशी व्यक्त की कि जी-20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक यहां हो रही है, क्योंकि यह शहर उनका संसदीय क्षेत्र है। काशी को सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक बताते हुए प्रधानमंत्री ने सारनाथ शहर का उल्लेख किया जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “काशी को ज्ञान, कर्तव्य और सत्य के खजाने के रूप में जाना जाता है और यह वास्तव में भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी है।” उन्होंने मेहमानों को गंगा आरती कार्यक्रम देखने, सारनाथ की यात्रा करने और काशी के व्यंजनों का लुत्फ उठाने का सुझाव दिया।
एकजुट करने और विविध पृष्ठभूमियों एवं दृष्टिकोणों को समझने में सक्षम बनाने से जुड़ी संस्कृति की अंतर्निहित क्षमता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 संस्कृति मंत्रियों के समूह का काम पूरी मानवता के लिए बहुत महत्व रखता है। उन्होंने कहा, “भारत में हमें अपनी सनातन और विविध संस्कृति पर बहुत गर्व है। हम अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को भी बहुत महत्व देते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत अपने विरासत स्थलों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर देश की सांस्कृतिक संपत्तियों और कलाकारों के मानचित्रण का उल्लेख किया। उन्होंने भारत की संस्कृति का उत्सव मनाने के लिए कई केंद्रों के निर्माण का भी उल्लेख किया और देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित जनजातीय संग्रहालयों का उदाहरण दिया जो भारत के आदिवासी समुदायों की जीवंत संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने ‘युग युगीन भारत’ राष्ट्रीय संग्रहालय विकसित करने का भी उल्लेख किया, जो पूरा होने के बाद भारत के 5,000 वर्षों के इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय होगा।
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मंत्रिस्तरीय बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में श्री जी के रेड्डी ने जी-20 देशों के मंत्रियों, आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों का विश्व के सबसे पुराने निरंतर जीवित शहरों में से एक वाराणसी में स्वागत किया, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी संसद में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि गंगा के किनारे एक शाश्वत शहर के रूप में, वाराणसी संस्कृति, कला और परंपराओं को समाहित करता है, जो इसे संस्कृति की इस जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए एक उपयुक्त पृष्ठभूमि बनाता है।
श्री जी के रेड्डी ने यह भी कहा कि सांस्कृतिक विरासत अतीत का स्तंभ और भविष्य का मार्ग है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जी-20 के संस्कृति कार्य समूह के तहत विचार-विमर्श की यात्रा समावेशी और सहयोगात्मक रही है। उन्होंने कहा कि इसके तहत हम चार प्राथमिकताओं की पहचान करने और विचार-विमर्श करने से आगे बढ़कर कार्य-उन्मुख परिणामों की ओर आगे बढ़ा है जो वैश्विक नीति निर्माण के केंद्र में संस्कृति को रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 के सदस्य देशों के अमूल्य योगदान, राय, टिप्पणियों और फीडबैक से हमारी साझा वार्ता काफी समृद्ध हुई है।
रेड्डी ने यह भी टिप्पणी की कि भारत की अध्यक्षता में और पीएम मोदी के नेतृत्व में, हमने न केवल विचारों को, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात, सामूहिक दृष्टिकोण की भावना को पकड़ने की कोशिश की है।
बैठक में अपने समापन भाषण में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संस्कृति कार्य समूह की चार बैठकों के दौरान आठ महीनों में हम एक मजबूत आउटकम डॉक्युमेंट तैयार करने में सफल रहे, जो रोम और बाली घोषणापत्रों की विरासत में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस बैठक में हमारे प्रयासों ने हमें एक अहम मोड़ पर ला दिया है जहां लगभग सभी बिंदुओं पर सर्वसम्मति से सहमति बनी है। हमें इससे जुड़ी महत्वाकांक्षा, अग्रगामी विजन और उद्देश्य पर गर्व होना चाहिए, जिसे हम अपनाने जा रहे हैं। यह वास्तव में इस बात का प्रमाण है कि संस्कृति सभी को एकजुट करती है। इसी भावना के साथ मैं आपसे इस उपलब्धि का नाम काशी संस्कृति मार्ग रखने के लिए कहना चाहूंगा।
श्री जी के रेड्डी ने कहा कि हमने पुष्टि की है कि सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी और बहाली सामाजिक न्याय की अनिवार्यता है और हम जी-20 सदस्यों के रूप में, उस उद्देश्य के लिए निरंतर बातचीत को ध्यान में रखते हुए शर्तों को समर्थ बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने अपने विचारों का समापन यह कहते हुए किया कि “मुझे प्रतीकात्मक रूप से आउटकम डॉक्युमेंट और अध्यक्ष के सारांश जिसका हमने समर्थन किया है और संस्कृति कार्य समूह की शर्तों की पुष्टि करने दीजिए।”
भारत की जी-20 अध्यक्षता के नेतृत्व में जी-20 संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) ने ‘जी-20 संस्कृति: समावेशी विकास के लिए वैश्विक आख्यान को आकार देना’ शीर्षक से एक अहम रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में भारत की अध्यक्षता में व्यक्त प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ग्लोबल थीमैटिक वेबिनार से प्राप्त जानकारियां और सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया गया है। रिपोर्ट से मिली जानकारियों से हमारी सामूहिक समझ को गहरा करने में निरंतर लगे रहने के महत्व का पता चलता है।
इन वेबिनार की एक प्रमुख विशेषता विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और विषयों के रिकॉर्ड 159 विशेषज्ञों की मजबूत और विविध भागीदारी थी। इस व्यापक सहयोग ने न केवल चर्चाओं को समृद्ध किया, बल्कि वैश्विक नीति निर्माण में संस्कृति की भूमिका के समग्र और बहुमुखी खोज को भी बढ़ावा दिया। जी 20 सदस्यों, अतिथि राष्ट्रों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और अन्य हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन विशेषज्ञों का सामूहिक ज्ञान चर्चा में शामिल विषयों की सार्वभौमिकता को रेखांकित करता है और रिपोर्ट की विश्वसनीयता और गहराई को बढ़ाता है।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता के सीडब्ल्यूजी के तहत ‘संस्कृति सभी को एकजुट करती है’ के विशेष अभियान की यात्रा को चिह्नित करते हुए एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया।