चुनौतियों को बदला अवसर में: नीरू यादव- "हॉकी वाली सरपंच"
"अपने रास्ते में बाधा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, बाधा के ऊपर बने पुल पर ध्यान केंद्रित करें" -मैरी लू रेटन। लोगों को समाधान खोजने के बजाय बहाने ढूंढना अधिक सरल लगता है। यह जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण है। चुनौतियाँ जीवन का अविभाज्य अंग हैं और चुनौतियाँ ही वह माध्यम है जिससे हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं और एक सम्पन्न व्यक्ति के रूप में विकसित होते हैं। महान लोग वो नहीं थे जिनके पास कोई चुनौती नहीं थी बल्कि वे वो थे जिनमें कई चुनौतियों का सामना करने की इच्छाशक्ति थी। आज हम एक ऐसी शख्सियत का सफर देखने जा रहे हैं जिसने चुनौतियों को अवसर में बदल दिया।
हॉकी वाली सरपंच नीरू यादव ने कुछ इस तरह से चुनौतियों का सामना कर उन्हें अवसरों में बदल दिया कि लोग उन्हें देखकर बहुत ही आश्चर्य में हैं। ग्राम पंचायत लांबी अहीर, तहसील बुहाना की नीरू यादव झुंझुनू जिले की सरपंच हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बारे में उनका दृष्टिकोण अपने आप में प्रेरणा का प्रतीक है। नीरू यादव ने चुनौतियों के दो सबसे कठिन स्तरों को पार कर लिया है, विशेष रूप से महिलाओं के रास्ते में आने वाली चुनौतियों को। पहला, ग्रामीण क्षेत्र की एक महिला होने के नाते कुछ बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए चार दीवारी से बाहर कदम रखना जो की वाकई मुश्किल है। दूसरा, अन्य महिलाओं को अपने घर की चारदीवारी से बाहर निकलने और इस समाज के लिए कुछ लाभकारी योगदान देने के लिए प्रेरित करना।नीरू यादव ने इन चुनौतियों का बहुत ही डटकर सामना किया है। एक सरपंच होने के नाते, नीरू यादव ने न केवल शक्ति का सही उपयोग दिखाया है बल्कि अपने ग्रामीण क्षेत्र में कुछ बड़े बदलाव लाकर इसका अधिकतम लाभ भी उठाया है।
पहली चुनौती का सामना करते हुए वह "सच्ची सहेली महिला एग्रो" के नाम से एफपीओ (किसान उत्पादन संगठन) शुरू करने वाली भारत की पहली महिला सरपंच बनीं। उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से SIIRD (द सोसाइटी ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट) की सहायता से एक "किसान उत्पादक संगठन" की स्थापना की। नीरू यादव ने इस कंपनी के निर्देशक मंडल के अध्यक्ष की भूमिका संभाली है। उन्होंने लोगों को सरकार की लाभकारी योजनाओं से भी अवगत कराया। उन्होंने प्रधानमंत्री की "कौशल विकास योजना" के महत्व को समझाया, जिसके वजह से गांव में रहने वाले युवाओं को नए कौशल हासिल करने और विकसित करने में मदद मिली। इससे गांव में बेरोजगारी भी कम हुई।
दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती के लिए उन्होंने 2 साल का अपना मानदेय लड़कियों की हॉकी टीम बनाने में लगाया, जिसमें सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं। इस टीम को सक्षम बनाने के लिए नीरू यादव ने एक कोच भी रखा।नीरू यादव मैदान में खुद मौजूद रही और वहां ने यह निश्चित किया कि सभी लड़कियों को जरूरत की सभी चीजें समय पर मिले। लड़कियों ने भी अपने गांव को निराश नहीं किया। लंबी अहीर पंचायत की इस टीम ने पहले ब्लॉक स्तर पर ट्रॉफी हासिल की और फिर जिला स्तर पर भी भागीदारी के लिए आगे बढ़ी।
नीरू यादव महिला सशक्तिकरण की एक सच्ची मिसाल हैं। वह न केवल अपने गांव की सरपंच बनने में सफल रही हैं बल्कि लोगों के कल्याण के लिए अपनी शक्ति का सही उपयोग भी किया है। गांव के विकास के लिए नीलू यादव ने हर तरफ से सोचा।बच्चे हो या बूढ़े, लड़कियां हो या औरतें हर किसी को इस विकास में शामिल किया।गांव की लड़कियों का भविष्य बनाने में नीरू यादव का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नीरू यादव जैसे सरपंच अगर हर गांव में हो तो हमारे देश को विकास की ओर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।