कला प्रेमी प्रधानमंत्री के मन की बात से प्रेरित प्रदर्शनी 'जनशक्ति' के साक्षी बने
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, (एनजीएमए) ने पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया, दिल्ली चैप्टर के सहयोग से "आर्टफुल इम्पैक्ट: कैनवास से लेकर अभियानों तक" नामक एक कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस कार्यक्रम को जनसंपर्क तथा कला के बीच आकर्षक तालमेल का पता लगाने के लिए तैयार किया गया, जो कि संचार में रचनात्मकता का सशक्त प्रदर्शन करता है। आज इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने इस कार्यक्रम में शामिल लोगों पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। यह कार्यक्रम पूरे दिन चला जिसकी शुरुआत एक मनमोहक क्यूरेटोरियल वॉक से हुई, जिसमें प्रतिभागियों को प्रधानमंत्री के 'मन की बात' और गैलरी के स्थायी संग्रह 'इन द सीड्स ऑफ टाइम' से प्रेरित प्रदर्शनी 'जनशक्ति' ने लोगों को प्रदर्शनियों का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान किया गया। कलात्मक प्रदर्शनों की विविधता, जो भारत के समृद्ध सांस्कृतिक अतीत और समकालीन कलात्मक दृष्टिकोण का प्रदर्शन करती है, ने दर्शकों का मन मोह लिया।
क्यूरेटोरियल वॉक ने कला एवं जनसंपर्क के संयोजन पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिसमें प्रशिक्षित क्यूरेटर, कला प्रशंसक, संचार विशेषज्ञ और सरकारी गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। इस कार्यक्रम ने कला एवं जनसंपर्क को एकीकृत करने वाली क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया और इसमें दोनों क्षेत्रों में शामिल पेशेवरों को प्रभावशाली संचार के लिए रचनात्मकता के भंडार में सहयोग करने और उसका दोहन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को विचार-प्रेरक "जनशक्ति" प्रदर्शनी का पता लगाने का अवसर प्राप्त हुआ।
"जनशक्ति" प्रदर्शनी में 12 उल्लेखनीय आधुनिक एवं समकालीन भारतीय कलाकारों के कार्यों पर प्रकाश डाला गया। इसमें प्रत्येक कलाकार ने ‘मन की बात’ के विषयों से प्रेरित किसी विशिष्ट विषय, जिसमें जल संरक्षण, नारी शक्ति से लेकर कोविड-19 और देश-दुनिया में जागरूकता शामिल हैं, पर अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन करके इस प्रदर्शनी में अपना योगदान दिया। इसमें शामिल अन्य विषयों में स्वच्छ भारत, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, भारतीय कृषि, योग एवं आयुर्वेद, भारतीय विज्ञान एवं अंतरिक्ष, खेल एवं स्वास्थ्य, भारत @ 75 एवं अमृत काल और पूर्वोत्तर भारत का उत्सव शामिल हैं। इसमें प्रदर्शित कलाकृतियों में संचार के विभिन्न माध्यमों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें पेंटिंग, मूर्तियां, तस्वीरें, प्रतिष्ठान और न्यू मीडिया शामिल हैं। इस कार्यक्रम ने पेशेवरों, कलाकारों और पीआर विशेषज्ञों को मूल्यवान संपर्क स्थापित करने, सहयोग और विकास के माहौल को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया।
विख्यात कार्टूनिस्ट उदय शंकर ने कार्यक्रम के दूसरे भाग में एक विचार-प्रेरक कार्यशाला का आयोजन किया। "प्रभावकारी संवाद में कार्टून का कैसे उपयोग किया जा सकता है" शीर्षक वाली कार्यशाला में दृश्य संचार के प्रभावशाली क्षेत्र पर प्रकाश डाला गया। श्री शंकर ने संदेशों, विचारों और अभियानों को प्रभावकारी रूप से व्यक्त करने के लिए कार्टून का लाभ एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उठाने के लिए अपने मूल्यवान अनुभवों एवं रचनात्मक तकनीकों को साझा किया।
श्रीमती तेमसुनारो त्रिपाठी, निदेशक, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने इस आयोजन की सफलता पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “हम 'आर्टफुल इम्पैक्ट' को प्राप्त हुई जबरदस्त प्रतिक्रिया से बहुत खुश हैं। इस कार्यक्रम ने कला एवं संचार क्षेत्र को मिलाने के लिए एक मंच प्रदान किया है और प्रतिभागियों को सार्थक संदेश प्रदान करने में रचनात्मकता के महत्वपूर्ण प्रभाव का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है। हम सभी उपस्थित लोगों, भागीदारों और सहयोगियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को बहुत सफल बनाया है।” इसमें डॉ अजीत पाठक, पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष, पीआर पेशेवर और मीडियाकर्मियों ने भी हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में कलाकारों, संचार पेशेवरों, छात्रों और कलाप्रेमियों सहित सम्मानित अतिथियों की भागीदारी देखी गई, जिन्होंने इस "आर्टफुल इम्पैक्ट" कार्यक्रम को सामूहिक रूप से एक जीवंत और व्यावहारिक बना दिया।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय आधुनिक एवं समकालीन कला के बेहतरीन कार्यों का प्रदर्शन करता है और भारत की कलात्मक विरासत की गहरी समझ एवं प्रशंसा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) देश में संचार एवं जनसंपर्क पेशेवरों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक पेशेवर निकाय है। यह संगठन संचार क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और जनसंपर्क प्रथाओं के मानकों को उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित करता है।