टीम भावना के साथ काम कर जिले के सर्वांगीण विकास को गति दें- केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को अलवर कलक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर निर्देश दिए कि टीम भावना के साथ समन्वित प्रयासों से जिले के सर्वांगीण विकास को गति दें और आमजन की परिवेदनाओं का त्वरित निराकरण किया जाए।
मंत्री यादव ने अलवर शहर के वेस्ट मैनेजमेंट, पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता की समीक्षा कर नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिए कि वर्षा ऋतु में नालों आदि की सफाई कार्य हेतु संसाधनों में इजाफा करें जिसमें 6 जेसीबी मशीन, 12 ट्रैक्टर और अन्य संसाधनों की आवश्यकता अनुसार लेकर 8 जुलाई से सफाई का विशेष अभियान प्रारम्भ करें।
उन्होंने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था में सिंगल यूज प्लास्टिक एक बड़ी बाधा है, अतः नगर निगम सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, संग्रहण एवं विक्रय पर कड़ाई से लगाम लगाने हेतु कार्रवाई करें। साथ ही आमजन को जागरूक करें कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को व्यवहार में लाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि शहर के ऐसे स्थानों को चिन्हित करें जहां पर लोगों द्वारा कचरा फैलाया जाता है, वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर कचरा फैलाने वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक किया जाए।
केंद्रीय वन, पर्यावरण मंत्री ने कहा कि शहर की स्वच्छता, वेस्ट मैनेजमेंट आदि में सुधार हेतु निर्देश दिए कि नगर निगम महापौर और आयुक्त 6 जुलाई को इन्दौर जाएं, जहां नगर निगम इन्दौर के अधिकारियों से स्वच्छता में नम्बर वन बने रहने के लिए किए जा रहे कार्यों आदि की जानकारी लें। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि एनसीएटी योजना और कचरा निस्तारण प्रबंधन हेतु केन्द्र सरकार के विभागीय अधिकारियों को विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भेजें।
उन्होंने नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिए कि अलवर जिला वाणिज्य एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक और अन्य संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर अग्यारा स्थित एसटीपी के परिशोधित जल (ट्रीटेड वाटर) का उपयोग औद्योगिक उपयोग में लिया जाए जिससे एमआईए क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों द्वारा उपयोग में लिया जा रहा भूजल बचाया जा सके। उन्होंने निर्देश दिए कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था के संबंध में वार्डवार बैठक भी लें। उन्होंने निर्देश दिए कि शहर के सुलभ शौचालय साफ रहें।
उन्होंने कहा कि अलवर शहर में पर्यावरण संतुलन एवं संरक्षण हेतु पुराना भूरासिद्ध मंदिर के पास मातृवन विकसित कराया जाएगा जिसकी शुरुआत 7 अगस्त को बड़ी संख्या में पौधे लगाकर की जाएगी।