राजस्थान में 46 नेता चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित

राजस्थान में 46 नेता चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित

जयपुर, 11 अक्टूबर 2023: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बुधवार को राजस्थान में चुनाव लड़ने से 46 नेताओं को अयोग्य घोषित कर दिया। इन नेताओं को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के बावजूद भी समय पर चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं देने या संतोषजनक ब्यौरा नहीं देने के लिए अयोग्य ठहराया गया है।

इन नेताओं में लोकसभा चुनाव 2019 में अलवर से गुलाब सिंह, दौसा से रिंकू कुमार मीणा, नागौर से हनुमान राम और झालावाड़ से बद्री लाल शामिल हैं। इन्हें 7 जनवरी 2024 तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है।

विधानसभा चुनाव 2018 में अयोग्य घोषित किए गए नेताओं में खाजूवाला से मिट्ठू सिंह, चूरु से उषा राठौर, उदयपुरवाटी से कृष्ण कुमार, भीम सिंह झोटवाड़ा से दिलीप कुमार शर्मा, आदर्श नगर से अब्दुल अज़ीज़, मुंडावर से आनंद यादव, बानसूर से ओमप्रकाश गुर्जर, कुलदीप शर्मा, मीराबाई, कामां से बालकिशन, भरतपुर से योगेश, नदबई से राजवीर सिंह, बयाना से मिश्री प्रसाद कोहली, जैतारण से लादू सिंह, पाली से मोहम्मद अली, मारवाड़ जंक्शन से अमर सिंह और देवाराम, भीनमाल से नंदा देवी, सांचौर से डॉ बुधराम बिश्नोई शामिल हैं। इन्हें 16 फरवरी 2024 तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है।

इसके अलावा, सीकर से भगवान सहाय और अंकुर शर्मा, भरतपुर से तेजवीर सिंह, टोंक-सवाई माधोपुर से मुकेश कुमार और प्रेमलता बंसीवाल को 19 फरवरी 2024 तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है।

रायसिंहनगर से कुंभाराम, अलवर ग्रामीण से जीतू जाटव, अलवर शहर से नवजोत सिंह, शोभाराम, सोजत से अंबालाल जगदीश, जीतराम, सुमेरपुर से शंकर सिंह, कपूराराम, संतोष, इमरान, सोहन सिंह, आहोर से बलवंत सिंह, पीपल्दा से नरेश जांगिड़, सांगोद से धनराज सिंह, भैरव लाल मालव, अंता से भुवनेश, खानपुर से मोहनलाल को 12 नवंबर 2024 तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है।

इन सभी नेताओं के खिलाफ शिकायत की जांच के बाद जनप्रतिनिधित्व एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है। चुनाव आयोग इन ब्यौरों की जांच करता है और अगर कोई उम्मीदवार चुनाव खर्च के नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

इस कार्रवाई से राजस्थान में राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कार्रवाई चुनाव में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।