आयुष मंत्रालय के पहले ‘चिंतन शिविर’ का उद्घाटन केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने युवा शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों को साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया आयुष के लाभों एवं अनुसंधानों के बारे में स्थानीय भाषाओं में बताएं ताकि इसकी जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे: श्री सर्बानंद सोनोवाल
केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में आयुष मंत्रालय के पहले "चिंतन शिविर" का उद्घाटन किया। केन्द्रीय मंत्री ने आयुष क्षेत्र की असीम क्षमताओं के बारे में बात की और युवा शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों को साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में काम करने तथा आयुष चिकित्सा पद्धति के लाभों एवं अनुसंधानों के बारे में स्थानीय भाषाओँ में बताने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि इसकी जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुष ‘हील इन इंडिया’ और ‘हील बाय इंडिया’ इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है। ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के विजन के लिए भी आयुष बेहद महत्वपूर्ण है। माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली वैश्विक स्तर पर स्थापित हुई है।
इस चिंतन शिविर में केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई, आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, आयुष मंत्रालय में विशेष सचिव श्री प्रमोद कुमार पाठक के साथ-साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण और प्रख्यात वक्ता, विशेषज्ञ एवं गणमान्य हस्तियां भाग ले रही हैं।
केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री डॉ. महेंद्र मुंजपरा ने शिविर के पहले सत्र में आयुष में डिजिटल स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी विषय पर चर्चा में भाग लिया और कहा, “अब दुनिया आयुष की शक्ति को महसूस कर रही है। डिजिटल स्वास्थ्य, आयुष ग्रिड, डिजिटल और तकनीकी विकास की मदद से आयुष की शक्ति को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा से लेकर विशिष्ट स्वास्थ्य केन्द्रों तक विस्तारित किया जा सकता है।”
आयुष मंत्रालय के अधिकारियों के साथ दोनों केन्द्रीय मंत्रियों ने नई दिल्ली स्थित मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेशक डॉ. ईश्वर वी. बसवराड्डी द्वारा आयोजित वाई-ब्रेक में भाग लिया।
शिविर के पहले दिन का पहला सत्र ‘आयुष में डिजिटल स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी’, दूसरा सत्र ‘आयुष अनुसंधान: भविष्य की रणनीति, चुनौतियां और आगे का रास्ता’ और तीसरा सत्र ‘आयुष शिक्षा: भविष्य की पहल, क्षमता निर्माण, रोजगार सृजन और एनईपी’ पर केन्द्रित था।
दूसरे दिन आयुष दवा उद्योगों, सेवाओं और आयुष उत्पादों के मानकीकरण में मौजूदा चुनौतियों और आगे बढ़ने के तरीकों पर सत्र होंगे। पांचवां सत्र सार्वजनिक स्वास्थ्य, चुनौतियां और आगे का रास्ता पर केन्द्रित होगा और उत्पादों एवं रोडमैप से संबंधित रिपोर्टों की प्रस्तुति के साथ इस समापन होगा।
इस दो-दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन आयुष संस्थानों के उन्नयन एवं तकनीकी प्रगति के साथ उनके एकीकरण के लिए रोड-मैप बनाने और नई शिक्षा नीति के साथ आयुष को एकीकृत करने के तौर-तरीकों की पहचान करने के साथ-साथ आयुष का लाभ उठाने के लिए सुधार की संभावना वाले वर्तमान सेवाओं की पहचान करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।