राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि समाज में अपने बूते विशिष्ट पहचान बनाने वाली विभूतियों की उपलब्धियों को सम्मान देना महती कार्य है, इससे युवा पीढ़ी को लीक से हटकर अपनी प्रतिभा को निखारने की प्रेरणा मिलेगी।
राज्यपाल मिश्र शनिवार को राजभवन में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के विशेष दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। इससे पहले, उन्होंने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. दलबीर भंडारी को विधि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि एवं लोकसभा सदस्य, प्रख्यात अभिनेत्री श्रीमती हेमामालिनी को डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
राज्यपाल ने कहा कि विशेष दीक्षांत समारोह के माध्यम से अपनी प्रतिभा के लिए देश-विदेश में विशिष्ट स्थान बनाने वाली विभूतियों को अकादमिक सम्मान से सम्मानित करने की यह जो परम्परा शुरू हुई है, वह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी अनुकरणीय है।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि डॉ. दलबीर भंडारी ने भारत को न्यायिक क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की परियोजना भारत में आपराधिक न्याय प्रशासन के अंतर्गत महती कार्य किया है और विधि शिक्षा के अंतर्गत किए गए उनके कार्य भी विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने कहा कि हेमामालिनी भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों से जुड़ी है। उन्हें विश्वविद्यालय की यह जो उपाधि प्रदान की गई है, उसके पीछे मंशा यही है कि कलाओं की भारतीय दृष्टि को सम्मान मिले और नई पीढी इसे समझे।
उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र यादव ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा के अवसर बढ़े हैं और महाविद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
न्यायाधीश डॉ. दलबीर भंडारी ने कहा कि अपने ही प्रदेश में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करना उनके लिए खुशी की बात है। उन्होंने विश्वविद्यालय को अकादमिक क्षेत्र में विशिष्ट स्थान बनाने के लिए शुभकामनाएं दी।
हेमामालिनी ने कहा कि वे नृत्य नाटिकाओं के द्वारा देश की सांस्कृतिक विरासत के प्रसार का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कलाकार के तौर पर उनकी उपलब्धियों के लिए मानद उपाधि प्रदान किए जाने पर आभार प्रकट किया।
डॉ. भंडारी और हेमामालिनी ने राजभवन में निर्मित संविधान उद्यान को संवैधानिक जागरुकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण नवाचार बताते हुए कहा कि इसमें संविधान निर्माण के इतिहास, पृष्ठभूमि और इससे जुड़े सांस्कृतिक मूल्यों को सहज और सरल रूप में दर्शाया गया है।
कुलपति प्रो. रमेश चन्द्रा ने विश्वविद्यालय से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
राज्यपाल ने आरम्भ में सभी को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
विशेष दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के प्रंबध मंडल व अकादमिक परिषद् के सदस्य, विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।