राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में न्यायाधिपति, राजस्थान उच्च न्यायलय व कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पंकज भंडारी ने शनिवार को राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर पीठ के परिसर में वर्ष- 2024 की द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि लोक अदालतें कानूनी प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लोक अदालतों के माध्यम से सभी लंबित मुकदमों का सौहार्दपूर्ण सटीक निस्तारण करना ही उद्देश्य है। भंडारी ने कहा कि लोक अदालत का आयोजन राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर एवं जयपुर पीठ सहित प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों, राजस्व न्यायालयों, उपभोक्ता मंचों एवं अन्य प्रशासनिक अधिकरणों में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से किया जा रहा है।
सौहार्दपूर्ण वातावरण में मुकदमों का प्रभावी निस्तारण मुख्य उद्देश्य-
राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से ऐसे विवादों को भी सुलझाने का प्रयास किया जाता है, जिनमें विवाद को यदि समय पर नहीं सुलझाया जाए तो वे सालों- साल न्यायिक प्रक्रिया में उलझ जाते हैं। ऐसे प्रकरणों को प्री- लिटिगेशन के माध्यम से न्यायालय में आने से रोका जाता है और आपसी सामंजस्य व समझौते से मामले को निस्तारित किया जाता है। उन्होंने कहा कि बिना न्यायलय जाए ही अगर किसी लंबित प्रकरण में राजीनामा होता है तो यह समाज में सकारात्मकता का उदहारण बनता है। उन्होंने कहा कि लोगों में सौहार्दपूर्ण तरीके से राजीनामा करवाना ही लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 39ए सभी को न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने हेतु लाया गया था। लोक अदालत हर नागरिक के लिए न्याय प्राप्त करने का व्यय रहित और सुलभ साधन है। माननीय द्वारा यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालत पक्षकारों को सुलह के लिए अनुभवी मध्यस्थ एवं सलाहकारों का एक ऐसा मंच उपलब्ध कराती है, जहां विवाद के पक्षकार समाधान की प्रक्रिया में स्वय भाग लेत है और विवादों के समाधान के लिए मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए समाधान स्वयं ही तय करते है।
लोक अदालत में प्रक्रियाधीन प्रकरण-
भंडारी ने कहा कि लोक अदालतों में प्रस्तुत किए जाने वाले विभिन्न प्रकरणों के तहत गत कुछ महीनों से अधिवक्ताओं से संपर्क किया जा कर समझाइश के प्रयास किये जा रहे हैं। साथ ही, जयपुर उच्च न्यायालय की 4 पीठों तथा जोधपुर उच्च न्यायलय की 5 पीठों में करीब 2500 मुक़दमे प्रक्रियाधीन हैं। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों द्वारा अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित कुल 3,17,485 प्रकरणों की तुलना में इस द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 5,43,283 लम्बित प्रकरणों सहित कुल 27,85,572 प्रकरणों का लोक अदालत की भावना के जरिए राजीनामा निस्तारण किया गया, जिसमें कुल 15,67,37,02,598/- रुपये की राशि के अवॉर्ड पारित किये गये। राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ जोधपुर द्वारा 206 प्रकरणों तथा जयपुर पीठ द्वारा 747 प्रकरणों का राजीनामे के माध्यम से निस्तारण किया गया।