बेबाक, निडर लीडर और छात्र हितों का चेहरा रविंद्र सिंह भाटी
"जिसके हौसले के आगे सब हो गए चित ऐसे हैं रविंद्र जिनके सीने में बसता है केवल छात्र हित।"
हौसले और कड़े फैसले से जंग जीती जाती है इस वाक्य को सच किया है जेएनयू के छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी ने।
निर्भीकता और नेक सोच के साथ जब वह चले थे तो पूरी दुनिया उनके साथ चलती गई और कारवां बनता चला गया।सच में, कुछ लोग विलक्षण प्रतिभा के साथ ही इस दुनिया में आते हैं लेकिन समय के साथ-साथ उनकी प्रतिभा निखरती चली जाती है और जहां पर नैतिक मूल्य व छात्र हितों की बात जब जब आई है तो वहां पर हमेशा खड़ें नजर आने वाले ऐसे ही एक युवा नेता है रवींद्र। जिन्होंने अपने अद्भुत कार्यों से जोधपुर विश्वविद्यालय के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
जिनके लिए विद्यार्थी हित से ऊपर कुछ भी नहीं है जिनकी सांसो में,जिनकी रगों में एक ही जुनून दौड़ता है वह है विद्यार्थियों के हितों के लिए लड़ना और उनको उनका हक दिलाना।
छात्र जीवन से ही वह छात्रों के जीवन को बड़ी बारीकी से देखते आए हैं और अपने से पहले जितने भी छात्र नेता रहे उन सभी की साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले और फिर उन्होंने ही इस प्रतिभाशाली युवा को आगे बढ़ाकर छात्र नेता चुन लिया और उसके बाद विद्यार्थी हितों के लिए लड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह कदम दर कदम मिसाल बनता गया और देखते ही देखते हर छात्र के लिए चहेते बनते गए रविंद्र सिंह भाटी जो एक लीडर होने के साथ ही बहुत ही संवेदनशील व्यक्तित्व है जो हमेशा छात्र बनकर रहता है और छात्रों के लिए खड़ा रहता है।
जब भी किसी छात्र को मदद की आवश्यकता हुई वह चाहे किसी भी रूप में हो तब बिना विचारे अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर उनमें अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहने वाले रविंद्र सिंह भाटी ने हर एक अवसर पर अपनी भूमिका निभाई है जैसे कि यूनिवर्सिटी की जमीन के अवैध कब्जे को छुड़ाना,रिटायरमेंट हो चुके स्टाफ के लिए के लिए pension शुरू करवाने की मांग हो या फिर छात्र हितों को लेकर पूरे प्रदेश में उनकी आवाज को ऊपर तक पहुंचाना हो या फिर उनके लिए जेल जाकर आमरण अनशन करके उनकी मांगों को मनवाने का कार्य करना हो. ऐसे नाजाने कितने ही कार्य है जो उन्होंने अपने अल्पकाल में ही करके एक मिसाल कायम की है।
हर छात्र के मार्मिक दर्द को समझते हुए उसका निवारण करने के लिए हमेशा तत्पर रहने वाली सभी छात्रों के प्यारे "रव सा" के पास जब भी कोई मदद के लिए आया उनको तुरंत प्रभाव से हर प्रकार से सहायता उपलब्ध करवा कर उनकी समस्याओं का समाधान किया। पिछले कुछ समय में जिस तरीके से उन्होंने छात्र हितों के लिए कार्य किया वो अपने आप में एक उपलब्धि है।
छात्रों के जीवन को बेहतर करने का प्रण लेकर समाज के हर वर्ग तक सहायता पहुंचाने में जिस तरीके से उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है वह काबिले-ए- तारीफ। जिससे हर एक छात्र नेता को प्रेरणा लेकर अपने स्तर पर जितना हो सकें अपने-अपने विश्वविद्यालय में छात्रों के हितों के लिए कार्य करना चाहिए।
रविंद्र सिंह मूलता ने बाड़मेर के दुधोड़ा से है इनकी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर जिले के मयूर एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की और उसके बाद इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से BA LLB की बाद में,उन्होंने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई 2015 से प्रारंभ की और 2016 में उन्होंने छात्र हितों के लिए राजनीति में कदम रखा इसके बाद से यह छात्र हितों के लिए आवाज उठा उठाने लगे। यहीं से इनके सफर की शुरुआत होती है। और सफर की शुरुआत इतनी धमाकेदार थी कि एक लंबे इंतजार के बाद निर्दलीय उम्मीदवार बन कर जीतना यह दर्शाता है कि छात्र उनके कितने पक्ष में है और उन्होंने इसी जीत का श्रेय सभी छात्रों को दिया और उसे कदम दर कदम उनके लिए काम करके इस ऋण को उतारने का प्रयास किया उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह है कि वह हिंदी व अंग्रेजी जानने के बावजूद भी आपको जहां कहीं भी भाषण देने का मौका मिला तो अपनी "मायड़ भाषा" में उन्होंने ही भाषण दिया यह दर्शाता है कि वह अपनी मातृभाषा से कितना प्रेम करते हैं।
सच्चे छात्र हितेषी होने के साथ ही सेवाभावी व हमेशा सेवा कार्यों के लिए तत्पर रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता भी है आप, अपने काम के साथ न्याय करने के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी सहज रूप से भागीदार बनने की कला ही उनको सबसे जोड़ती है और माटी के प्रति प्रेम, अपणायत,सौम्यता एवम् छात्र हितों के लिए उग्र बनना पड़े तो वह भी बनकर छात्रों को उनका हक दिलाना इनके व्यक्तित्व की विशेष विशेषता है। इतना सारा नि:स्वार्थ भाव से छात्रों के साथ ही सभी आमजन के द्वारा जो उनको प्यार व सम्मान मिला वो यह दर्शाता कि लोगों के बीच उनकी कितनी विशेष छवि है। रविंद्र सिंह भाटी एक छात्र नेता के तौर पर आज इस मुकाम पर है वहां पर पहुंचकर कोई भी इतना विनम्र नहीं रह पाता लेकिन यह लोगों का ही स्नेह है जो उनको हमेशा इस सहज रूप में बनाए रखता है और आगे भी वह इसी प्रकार से सहजता से सभी के लिए कार्य करते रहेंगे क्योंकि उन्होंने कहा है कि जब तक मैं इस मानवीय देह में हूं मेरा पूरा जीवन छात्रों को न्याय दिलाने में आम जनों की सहायता करने में उनकी समस्याओं को आगे तक पहुंचा कर उनका समाधान करने में लगाता रहूंगा।