इस बार हनुमान बेनीवाल नागौर से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे?,स्वयं को खींवसर से उम्मीदवार घोषित किया।
- हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
- बेनीवाल ने 28 अक्टूबर को अपनी पार्टी के 10 उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें उनका नाम भी शामिल है।
- बेनीवाल का दावा है कि इस बार राजस्थान में आरएलपी के समर्थन से ही किसी दल की सरकार बनेगी।
- बेनीवाल के विधानसभा चुनाव लडऩे से नागौर की राजनीति में बदलाव देखा जा रहा है।
राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बेनीवाल वर्तमान में नागौर से सांसद हैं। उन्होंने 28 अक्टूबर को अपनी पार्टी के 10 उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें उनका नाम भी शामिल है।
बेनीवाल की उम्मीदवारी से सवाल उठता है कि क्या वह अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे? बेनीवाल ने गत बार भाजपा के समर्थन से चुनाव जीता था, लेकिन इस बार बेनीवाल का भाजपा से गठबंधन नहीं है। ऐसे में बेनीवाल का लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल नजर आ रहा था, इसलिए बेनीवाल ने विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ताकि कम से कम विधायक तो बने रहे।
खींवसर को बेनीवाल के लिए सुरक्षित माना जाता है। 2018 में भी बेनीवाल ने खींवसर से चुनाव जीता था, लेकिन छह माह बाद भाजपा से हुए गठबंधन में बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव जीता और खींवसर से अपने छोटे भाई नारायण बेनीवाल को विधायक बना दिया।
बेनीवाल का दावा है कि इस बार राजस्थान में आरएलपी के समर्थन से ही किसी दल की सरकार बनेगी। बेनीवाल का यह दावा कितना सच निकलता है यह तो 3 दिसंबर को परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जब नामांकन की प्रक्रिया 30 अक्टूबर से शुरू हो रही है, तब बेनीवाल ने अपनी पार्टी के मात्र दस उम्मीदवार घोषित किए हैं। प्रदेश में 200 विधानसभा क्षेत्र है। बेनीवाल कितनी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर पाएंगे, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
बेनीवाल के विधानसभा चुनाव लडऩे से नागौर की राजनीति में बदलाव देखा जा रहा है। अभी बेनीवाल की पार्टी के तीन विधायक हैं। इस बार कितने विधायक चुने जाते हैं यह 3 दिसंबर को पता चलेगा।
जानकार सूत्रों के अनुसार भाजपा से गठबंधन तोड़ने से बेनीवाल को नुकसान है। देखना है कि बेनीवाल इस नुकसान की भरपाई कैसे करते हैं। नागौर के पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने से बेनीवाल को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ज्योति मिर्धा की वजह से खींवसर में भाजपा को मजबूती मिलेगी।
यह सही है कि जाट समुदाय के युवाओं में बेनीवाल के प्रति क्रेज है। लेकिन फिलहाल बेनीवाल के लिए खींवसर से जीतना आसान नहीं होगा।