प्रदेश में जल संरक्षण और हरियाली क्षेत्र को बढ़ाने के उद्देश्य से जलदाय मंत्री कन्हैया लाल के निर्देशन में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ने अभिनव पहल करते हुए पूरे प्रदेश में एक लाख पौधे लगाने का अभियान शुरू किया। जलदाय मंत्री ने जल भवन में पौधारोपण कर इस अभियान की शुरुआत की और जल भवन में 500 पौधे लगाए गए।
अभियान के शुभारंभ पर जलदाय मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों को बचाना जरूरी है। जहां पेड़ बचाए जाते हैं वहां प्रकृति सुरक्षित हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत हमने प्रदेश भर में जलदाय विभाग के सभी कार्यालयों, संस्थाओं, पंप हाउसों में एक ही दिन में एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि अत्यधिक जल दोहन, जल की बढ़ती मांग और भूजल के कम रिचार्ज होने के कारण राजस्थान के कई क्षेत्र डार्क जोन में सम्मिलित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सबसे बड़ा संकट जल का होगा और जल को बचाने के प्रयास हमें आज से करने होंगे।
कन्हैयालाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ''एक पेड़ मां के नाम'' अभियान को सफल बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हम पेड़ लगाएं और उसे बचाने की जिम्मेदारी भी लें।
जलदाय मंत्री ने इस बार पड़ी भीषण गर्मी के दौरान प्रदेश भर में पानी की सुचारू सप्लाई, अवैध कनेक्शन काटने और पानी के उचित वितरण के लिए अपने विभाग के अधिकारियों, इंजीनियरों, कर्मचारियों का धन्यवाद दिया।
इस दौरान जलदाय मंत्री ने एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के सहयोग से नीर निधि निर्माण के तहत जल भवन में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास भी किया। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के फाउंडर, एमडी और सीईओ संजय अग्रवाल ने वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए जल संरक्षण के ‘4 आर‘ रीड्यूस, रीयूज, रीसायकल और रीप्लेनिश का उद्देश्य बताया। उल्लेखनीय है कि पीएचईडी विभाग की ये पहल न सिर्फ वेस्ट वाटर की बर्बादी को काफी कम करेगी बल्कि ग्रीन स्पेस का निर्माण भी करेगी।
जल संग्रहण व संरक्षण पर राज्य स्तरीय सेमिनार —
शासन सचिव जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी डॉ. समित शर्मा ने प्रदेश में गिरते भूजल स्तर का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि भूमि में 100 लीटर पानी जाता है तो 148 लीटर का दोहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े पार्कों, होटल, मैरिज गार्डन, हॉस्पिटल और भवनों को राजस्थान सरकार की टाउनशिप पॉलिसी के तहत वर्षा जल संग्रहण और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे 50 प्रतिशत से अधिक पानी का पुनः उपयोग किया जा सके।
इस अवसर पर राज्य में गिरती हुई भूजल स्तर पेयजल गुणवत्ता, जल सुरक्षा, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण कार्यों की राज्य स्तरीय कार्य योजना तैयार करने के लिए जल भवन के कांफ्रेंस हॉल में एक दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का भी आयोजन किया गया। सेमिनार में राजस्थान में जल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के करीब 70 से अधिक प्रतिनिधियों में भी भाग लिया। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री श्री लक्ष्मण सिंह लापोड़िया, पद्मश्री श्री हिमताराम नागौर एवं अन्य विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में जलदाय मंत्री ने सभी को जल बचाने की ''जल शपथ'' भी दिलवाई।