राजस्थान में वन स्टेट-वन इलेक्शन के परीक्षण की घोषणा के बाद सरकार ने प्रदेश के 86 नए शहरों में नगर पालिकाओं की चुनाव प्रक्रिया रोक दी है। सभी कलक्टर को नवगठित नगरपालिकाओं के परिसीमन और वार्डों की आरक्षण की प्रक्रिया फिलहाल नहीं करने के लिए कहा है। इन शहरों में करीब 1985 वार्ड हैं और सरकार दिसम्बर तक चुनाव कराने की तैयारी कर रही थी। इसी कारण 26 अगस्त तक सभी प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए गए थे। नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की प्लानिंग चल रही है।
इन जिलों में हैं 86 निकाय
दूदू, जयपुर ग्रामीण, नीमकाथाना, सीकर, झुंझुनूं, दौसा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, अलवर, डीग,
भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, गंगापुरसिटी, कोटा, बारां, बूंदी, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन, सांचौर, जालोर, भीलवाड़ा, सिरोही, पाली, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बालोतरा, उदयपुर, सलूम्बर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा।
बजट घोषणा के अनुरूप काम शुरू – सुरेश ओला
स्वायत्त शासन विभाग निदेशक सुरेश ओला ने कहा बजट घोषणा के अनुरूप काम करना शुरू कर दिया है। नवगठित निकायों के परिसीमन और वार्ड आरक्षण का काम फिलहाल रोका है।
वाहवाही लूटने तक का काम
केवल नगरपालिकाओं की संख्या बढ़ाकर वाहवाही लूटी गई। न तो इन निकायों का अपना भवन है और न ही पूरा स्टाफ व संसाधन। इससे स्थानीय लोगों को नगरपालिका से जुड़ी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
चुनाव हो तो हो डवलपमेंट
बोर्ड गठन के बाद नगरपालिका के पास कर्मचारी और संसाधन बढ़ जाएंगे। इसमें सफाई, लाइट, ड्रेनेज, सीवरेज मुख्य रूप से हैं। नई स्कीम तत्काल लाई जा सकेगी। मास्टर प्लान व जोनल प्लान बनाना अनिवार्य हो जाएगा।
अभी सरपंच के पास जिम्मा
सभी नवगठित नगर पालिकाओं में अभी सभापति के रूप में जिम्मा संबंधित सरपंच को ही दिया हुआ है। इन ग्राम पंचायतों में जो सबसे बड़ी है, उसके सरपंच को सभापति और वार्ड पंचों को वार्ड सदस्य माना गया है।