“राजस्थान: कांग्रेस से हाथ छुड़ाकर भाजपा में शामिल हुए नेताओं की चुनौती और आपसी मतभेद”
कांग्रेस से हाथ छुड़ाकर भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं को चुनाव लड़ाना है या नहीं, इसके लिए पार्टी ने फीडबैक लिया है। पार्टी की ओर से नियुक्त ऐसे प्रतिनिधियों ने बड़े नेता और प्रमुख सक्रिय कार्यकर्ताओं से बात की है। उन्होंने ‘आयातित नेताओं’ की सियासी धाक, राजनीति और क्षेत्र में छवि, चुनाव लड़ने की स्थिति में जीत मिलेगी या नहीं, इन सभी बिन्दुओं के बारे में चर्चा की। कांग्रेस से आए इन नेताओं से पार्टी के कई बड़े नेता और दावेदार चिंता में है। उन्हें आशंका है कि उनका टिकट काटकर आयातित नेताओं को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
इनमें किशनपोल, शिव और सरदारशहर सीट को लेकर नेता ज्यादा आशंकित हैं। इसी कारण भाजपा के कई दावेदार अपने समर्थकों के साथ शीर्ष नेता, पदाधिकारियों से मिल चुके हैं। यह दौड़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय तक पहुंच गई। उधर, पार्टी इनमें से कुछ को चुनाव लड़ाने के मूड में है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए पहले फीडबैक लिया गया। इनकी हुई थी ज्वाइनिंग पिछले दिनों ही जयपुर शहर की महापौर रही कांग्रेस नेता ज्योति खंडेलवाल, पूर्व विधायक सीएस बैद, पूर्व विधायक नंदलाल पूनिया, जोधपुर से छात्रनेता रविंद्र सिंह भाटी, हरिसिंह सहारण, राजस्थान धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सावरमल महरिया सहित कई ब्यूरोक्रेट्स भाजपा में शामिल हुए हैं।
यहां आपसी मतभेद
छात्रनेता रविंद्र सिंह भाटी की भाजपा में एंट्री को लेकर पश्चिमी राजस्थान से आने वाले भाजपा एक कद्दावर नेता सहमत नहीं थे, लेकिन शेखावटी के दूसरे बड़े नेता ने भाटी को पार्टी ज्वाइन कराई। सूत्रों के मुताबिक यह मामला ऊपरी स्तर तक पहुंच चुका है।