केंद्रीय मंत्री परुशोत्तम रुपाला ने सागर परिक्रमा के आठवें चरण का नेतृत्व किया
“सागर परिक्रमा” तटीय क्षेत्र में परिकल्पित एक विकासवादी यात्रा है जो सभी मछुआरों, मत्स्य किसानों और अन्य हितधारकों के बीच एकजुटता का प्रदर्शन करता है, साथ ही मछुआरों की जमीनी चुनौतियों एवं समस्याओं को समझता और पहचान करता है। सागर परिक्रमा का पहला भाग 05 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात (सागर परिक्रमा-चरण I) से शुरू हुआ था और देश के पश्चिमी तट पर प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हुए 12 जून 2023 को विझिंजम, केरल (सागर परिक्रमा-चरण VII) में संपन्न हुआ।
सागर परिक्रमा के दूसरे भाग का उद्देश्य देश के पूर्वी तट को कवर करना है, इसलिए केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला के नेतृत्व में सागर परिक्रमा का आठवां चरण 31 अगस्त 2023 को केरल के विझिंजम में फिर से शुरू हुआ और क्रमिक चरणों में देश के पूर्वी तटीय राज्यों को कवर करना जारी रखेगा।
इसके अनुरूप, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन, मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्यपालन, डीओएफ), श्रीमती नीतू कुमारी प्रसाद और डॉ. एल.एन. मूर्ति, मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की उपस्थिति में सागर परिक्रमा के आठवें चरण का नेतृत्व किया।
सागर परिक्रमा के आठवें चरण का पहला दिन 31 अगस्त 2023 को शुरू हुआ और इसने तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तटीय क्षेत्रों को कवर किया, जिसमें थूथूर, कोलाचेल और मुट्टम में मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों और थूथूर, वल्लाविलई, कुरुमपनई और वानायकुडी में मछली पकड़ने वाले गांवों के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी शामिल किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन तिरुनेलवेली और थूथुकुडी जिलों में उवारी, पेरियाथलाई, वीरपांडियन पट्टिनम में मछली पकड़ने वाले गांव के लाभार्थियों के साथ-साथ थूथुकुडी और रामनाथपुरम जिलों में थूथुकुडी, थारुवैकुलम और मूकाइयुर में मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों के लाभार्थियों के साथ बातचीत की गई।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम का तीसरा दिन रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम मछली पकड़ने के घाट पर मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने के तरीकों और मछली प्रबंधन का प्रदर्शन करने के साथ-साथ मछुआरों और आम लोगों से बातचीत के साथ शुरू हुआ। केंद्रीय मंत्री ने नाव घाट के सुधार और नवीनीकरण की समीक्षा की और मछुआरों और मत्स्य किसानों के साथ अनुसंधान एवं तैयारियों, क्षेत्र कार्य, मछली प्रबंधन के बारे में चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछली पकड़ने के उद्योग की प्रथाओं और गतिशीलता के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर बातचीत करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत करने से नीति निर्माताओं, क्षेत्रीय गतिशीलता और नीतियों से सीधे प्रभावित होने वाले लोगों के बीच की खाई में अंतर कम होता है।
कार्यक्रम के अनुसार, गणमान्य लोगों ने एक प्रदर्शनी सहित आईसीएआर-सीएमएफआरआई के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र का दौरा किया। प्रदर्शनी में पाक खाड़ी और मन्नार की खाड़ी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण समुद्री मत्स्य संसाधन, समुद्री शैवाल की खेती, आईएमटीए, हैचरी में उत्पादित कोबिया, सिल्वर पोम्पानो और समुद्री सजावटी मछलियों का प्रदर्शन किया गया। संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन), डीओएफ, श्रीमती नीतू कुमारी प्रसाद ने सागर परिक्रमा यात्रा और बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क के उद्देश्यों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बल देकर कहा कि भारत सरकार द्वारा की गई पहलों का उद्देश्य मछुआरों, मत्स्य किसानों और अन्य हितधारकों के मुद्दों का समाधान करना और उनके जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार लाना है।
केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व में समुद्री शैवाल की खेती में लगी मछुआरा समुदाय के महिला समूहों के साथ बातचीत की गई, जिन्होंने अपने जीवन और आजीविका के बारे में बातचीत की; उन्होंने विशेष रूप से समुद्री शैवाल की खेती के बारे में अपने अनुभवों, चुनौतियों और आकांक्षाओं को साझा किया। मछुआरों ने समुद्री शैवाल की खेती के लिए सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने एक मछुआरे से गुजराती भाषा में बातचीत करने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
किसानों ने अनुरोध किया कि बाजार की मांग को पूरा करने के लिए समुद्री शैवाल के बीज उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक पहल पर ध्यान दिया जाए। वर्तमान समय में चल रही चुनौतियों का समाधान करने के लिए बीज उत्पादन और प्रासंगिक सब्सिडी के लिए एक हैचरी का भी अनुरोध किया गया। केंद्रीय मंत्री ने इस मामले को देखने और छोटे मछुआरों की समस्याओं का समाधान करने हेतु हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया, जिनके पास मोटर चालित मछली पकड़ने की नौकाएं हैं।
राज्यमंत्री डॉ एल मुरुगन ने कहा कि समुद्री शैवाल की खेती को आर्थिक रूप से व्यवहार्य आजीविका विकल्प के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसे विशेष रूप से मछुआरा समुदाय की महिलाओं द्वारा अपनाया जाना चाहिए और भारत सरकार की प्रमुख योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का उद्देश्य इस एजेंडे को आगे बढ़ाना है और इसलिए इस योजना के अंतर्गत समुद्री शैवाल की खेती के लिए समर्थन प्रदान किया जा रहा है।
इसके अलावा, श्री परशोत्तम रुपाला ने डॉ एल मुरुगन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ रामनाथपुरम जिले के वलमावुर में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क की आधारशिला रखी और बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क के भूमि पूजन में हिस्सा लिया।
सभा और मीडिया के सामने बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क पर टिप्पणी करते हुए, श्री रुपाला ने भारत के पहले बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क को वास्तविकता का रूप लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की और डॉ एल मुरुगन और तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पार्क को 127.7 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ मंजूरी प्रदान की गई है और इसका उद्देश्य तमिलनाडु के छह जिलों के 136 तटीय गांवों को लाभान्वित करने वाले समुद्री शैवाल की खेती और संरक्षण को बढ़ावा देना है। पार्क का काम 2 वर्षों के अंदर पूरा होने का अनुमान है। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र में पीएमएमएसवाई और केसीसी के शुभारंभ के साथ क्षेत्र के विकास में भारत सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम के साथ, मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने जिला अधिकारियों के साथ मिलकर केवल रामनाथपुरम जिले में 374 किसान क्रेडिट कार्ड के वितरण की व्यवस्था की थी, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर केसीसी की संख्या बढ़कर 4,47,14,565 हो गई। केंद्रीय मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए समय पर सहयोग के लिए बैंकों को धन्यवाद दिया।
इसके अलावा, प्रगतिशील मछुआरों ने पीएमएमएसवाई की सफलता की कहानियों को साझा किया। श्री रुपाला ने कहा कि क्षेत्रीय जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है और उन्होंने ग्रामीणों के योगदान की सराहना करते हुए उनसे आगे आने और मत्स्य पालन एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए पीएमएमएसवाई और केसीसी के लाभों का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने स्वयंसेवकों से पीएमएमएसवाई, केसीसी जैसी योजनाओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में मदद करने का भी अनुरोध किया, जिससे लाभार्थियों को इसका लाभ प्राप्त हो सके।
अंत में, राज्य मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तमिलनाडु में समुद्री मत्स्य पालन के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में नेतृत्व करने की विशाल क्षमता है, इसलिए समुद्री मछली पकड़ने के सही नियमों, समुद्री मछली के रखरखाव में सफाई एवं स्वच्छता, आवश्यक प्रौद्योगिकी को अपनाने और मूल्य श्रृंखला क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए अपनी भागीदारी और सुझाव साझा करने के लिए मछुआरों, मत्स्य किसानों, लाभार्थियों, तटरक्षक अधिकारियों को धन्यवाद दिया।
इन प्रभावशाली और अंतर्दृष्टिपूर्ण बातचीत एवं चर्चाओं सहित बेहतर भविष्य की आशा के साथ, सागर परिक्रमा के आठवें चरण का समापन हुआ।