शिल्पग्राम उत्सव ’एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सुंदर उदाहरण - राज्यपाल , राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन कर व नगाड़ा बजाकर उत्सव का किया उद्घाटन
शिल्पग्राम कलाओं का आंगन है। यहां देशभर से आए कलाकारों का सुंदर समन्वय है। यह भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण है। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में यह विचार व्यक्त किए। श्री मिश्र, महापौर श्री जी एस टांक और केंद्र निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर और नगाड़ा बजाकर परंपरागत रूप से उत्सव का शुभारंभ किया।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि शिल्पग्राम में जाति, वर्ग, क्षेत्र, भाषा आदि की भिन्नता का भेद पूरी तरह मिट जाता है और एक भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश देता है। यहां प्राचीन लोक कलाओं और संस्कृति को संजोने का सराहनीय कार्य हो रहा है। संस्कृति जीवन जीने का ढंग है। लोक संस्कृति के आलोक में परंपरा के संरक्षण में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के शिल्पग्राम उत्सव का महत्वपूर्ण योगदान है। मेरा आग्रह है कि केंद्र का मूल सौंदर्य बनाए रखें ताकि लोक संस्कृति संरक्षित रहे।
इससे पूर्व शिल्पग्राम पहुंचने पर केंद्र निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने राज्यपाल का स्वागत किया। महापौर श्री जी एस टांक, जिला कलक्टर श्री अरविन्द पोसवाल और एसपी श्री भुवन भूषण इस अवसर पर मौजूद थे। उद्घाटन पश्चात लोक नृत्य, लोक गीत और अन्य कार्यक्रमों का अतिथियों ने लुत्फ उठाया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने यहां सजे बाजार का अवलोकन किया और म्यूरल आर्ट प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
पद्मश्री कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अवार्ड गुजरात के लोक नर्तक श्री जयेन्द्र सिंह जडेजा को लोक कला क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए और साहित्य और कलाओं में अप्रतिम योगदान के लिए कवि, कला मर्मज्ञ और सुप्रसिद्ध लेखक डॉ राजेश कुमार व्यास को संयुक्त रूप से दिया गया। राज्यपाल ने दोनों को शॉल ओढ़ाकर, प्रशस्ति पत्र, पुरस्कार देकर सम्मानित किया। केंद्रीय साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान और राजस्थानी भाषा अकादमी के शिखर अवार्ड से सम्मानित डॉ. राजेश कुमार व्यास की अब तक 25 पुस्तक प्रकाशित हैं जिनमें लोक कलाओं पर महत्वपूर्ण साहित्य भी सम्मिलित है। वह दूरदर्शन के लिए कला संवाद कार्यक्रम के होस्ट हैं। लोक नर्तक जयेन्द्र सिंह जडेजा ने देश-विदेश में लोक नृत्य की 700 से अधिक प्रस्तुतियां देकर उल्लेखनीय योगदान दिया है।