म्हरे राजस्थान को और कितने टुकड़ों में बांटोगे: राजस्थान वासियों के लिए चौंकाने वाली खबर
◆ हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा राजस्थान में 19 नए जिले और 3 नए संभाग आने की घोषणा की गई है जिसको लेकर सब और चर्चा हो रही है।
कौन-कौन बने नए जिले
◆ इस घोषणा के पश्चात राजस्थान में राज्य में 50 जिले और 10 संभाग हो गए हैं।
◆ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार 17 मार्च 2020 को को विधानसभा में इसकी घोषणा की की गई जिसमें बांसवाड़ा, पाली, सीकर नए संभाग बनाए गए हैं।
◆ जयपुर को चार जिलों में बांटा गया, जयपुर जिले को तोड़कर जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू और कोटपूतली जिला बनाया गया है।
◆ गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर को भी जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम और फलोदी में बांटा गया है।
◆ श्रीगंगानगर से अनूपगढ़, बाड़मेर से बालोतरा, अजमेर से ब्यावर और केकड़ी, भरतपुर से डीग, नागौर से डीडवाना-कुचामनसिटी,सवाईमाधोपुर से गंगापुर सिटी, अलवर से खैरथल, सीकर से नीम का थाना, उदयपुर से सलूंबर, जालोर से सांचोर और भीलवाड़ा से काटकर शाहपुरा को नया जिला बनाया गया है।
◆घोषणा में तीन नए संभाग मुख्यालय बनाए गए हैं जिसमें सीकर, पाली और बांसवाड़ा हैं।
◆इन मुख्यालयों के तहत कौन-कौन से जिले काम करेंगे, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसमें भी अंचल का खास ध्यान रखा गया है।
◆ शेखावाटी से सीकर, मारवाड़ से पाली और मेवाड़ के आदिवासी बेल्ट से बांसवाड़ा को संभाग बनाया गया है।
◆नए जिलों के गठन को लेकर सरकार को सुझाव देने के लिए रिटायर्ड IAS रामलुभाया की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी का कार्यकाल हाल ही में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था।
◆ रामलुभाया कमेटी के पास 60 जगहों के नेता अलग-अलग ज्ञापन देकर नए जिलों की डिमांड रख चुके थे।
◆ गौरतलब है कि 15 साल बाद यह घोषणा हुए सबसे आखिरी जिला बना था प्रतापगढ़।
◆ 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ राजस्थान का 33वां जिला बना था। अब नए जिलों की घोषणा 15 साल बाद हुई है। इससे करीब 14 साल पहले हनुमानगढ़ को जिला बनाया गया था।
◆ वहीं संभाग मुख्यालय की आखिरी घोषणा भी 2005 को हुई थी। 4 जून, 2005 को राजस्थान का 7 वां संभाग भरतपुर को बनाया गया था।
निष्कर्ष: चुनाव से पूर्व इस प्रकार की घोषणा करना आगामी चुनाव को साधने की एक पूर्व नियोजित योजना की ओर संकेत कर रहे हैं इन अलग-अलग नए जिलों को बनाने की मांग काफी समय से चल रही थी जिस पर कई नेताओं ने अपने क्षेत्र के जिले का दर्जा दिलाने के लिए अथक प्रयास किए थे तो उनकी दृष्टि की ओर से देखा जाए तो यह उनके लिए एक सुखद एहसास होगा और सरकार द्वारा चुनाव से पूर्व इस प्रकार की घोषणा करना आगामी चुनाव की रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है