गहलोत ने हारे हुए नेताओं को दिया ये बड़ा संकेत, कइयों के छूटे पसीने, पढ़ें क्या है मामला
हाइलाइट्स
सीएम अशोक गहलोत नेताओं को दी नसीहत
लगातार चुनाव हारने वाले नेताओं की लंबी है फेहरिस्त
गहलोत के संकेतों के बाद कांग्रेस के कई नेताओं की उड़ी नींद
जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) से पहले अब उन नेताओं को दरकिनार करने की तैयारी कर रही है जो लगातार चुनाव हार रहे हैं और अपनी सीटों पर दूसरों के लिए जगह खाली भी नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अब ऐसे नेताओं को संन्यास ले लेने के संकेत दिये हैं. गहलोत ने उनको दिल पर पत्थर रख जीताऊ चेहरों के लिए सियासी जमीन खाली करने की नसीहत दी है. इससे इस दायरे में आने वाले नेता चिंता में डूबे हैं.
कोटा की रामगंजमंडी सीट से पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा एक बार फिर कांग्रेस से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं. बैरवा बीते साढ़े चार साल से इलाके में सक्रिय हैं. उनको पार्टी से टिकट की आस है और वो सहानुभूति कार्ड खेल चुनाव मैदान में फतह हासिल करना चाहते हैं. लेकिन बैरवा के लिए इस बार टिकट हासिल करना कोई आसान काम नहीं रह गया है.
सरकार रिपीट नहीं करा पाने के दंश से छुटकारा पाना चाहते हैं सीएम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे नेताओं को दिल पर पत्थर रखने की हिदायत दे रहे हैं जो लगातार चुनाव हार रहे हैं. गहलोत सरकार रिपीट नहीं करा पाने के दंश से छुटकारा पाना चाहते हैं. लिहाजा वे हर हाल में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए वो तमाम जरूरी कदम उठाना चाहते हैं ताकि सूबे में फिर कांग्रेस की सरकार बन जाये. इसलिए नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को दो टूक शब्दों में गहलोत नसीहत दे रहे हैं कि जीतने की गुंजाइश हो तो ही दावेदारी जताओ नहीं तो मैदान खाली करो
जनता चुनाव में आईना दिखा चुकी है
राजस्थान कांग्रेस में रामगोपाल बैरवा कोई अकेले ऐसे नेता नहीं है जो हार के बावजूद टिकट की उम्मीद लगाए बैठें. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है. राजस्थान में कई ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है. लिहाजा अबकी बार गहलोत सरकार ने अभी से ही फूंक फूंक कर कदम रखना शुरू कर दिया है. गहलोत के बयानों से उन नेताओं की टिकट पर खतरा मंडराने लगा है जिनको उनके क्षेत्र की जनता चुनाव में आईना दिखा चुकी है.
दो बार चुनाव हारने वालों में ये हैं शामिल
जयपुर के मालवीय नगर से डॉ. अर्चना शर्मा, लूणकरणसर से वीरेंद्र बेनीवाल, श्रीडूंगरगढ़ से मंगलाराम गोदारा, पुष्कर से नसीम अख्तर, जैतारण से दिलीप चौधरी, मनोहर थाना से कैलाश मीणा, डग से मदनलाल वर्मा, सलूंबर से रघुवीर मीणा, गोगुंदा से मांगीलाल गरासिया, रानीवाड़ा से रतन देवासी, चौमूं से भगवान सहाय सैनी और कुंभलगढ़ से गणेश परमार इस श्रेणी में शामिल हैं.
फेहरिस्त में ये भी हैं शामिल
इनके अलावा शाहपुरा भीलवाड़ा से महावीर मोची, आहोर से सेवाराम पटेल, घाटोल से नानालाल निनामा, मकराना से जाकिर हुसैन गैसावत, गढ़ी से कांता भील, नागौर और खींवसर से हरेंद्र मिर्धा, सागवाड़ा से सुरेन्द्र बामणिया, मावली से पुष्कर डांगी, संगरिया से शबनम गोदारा, लाडपुरा से नईमुद्दीन गुड्डू, पीलीबंगा से विनोद गोठवाल, विद्याधर नगर से विक्रम सिंह शेखावत, तिजारा से दुर्रु मियां, बड़ी सादड़ी से प्रकाश चौधरी और चित्तौड़गढ़ से सुरेंद्र जाड़ावत जैसे नेता भी इस दायरे में आ रहे हैं.