सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के द्वितिय सत्र की बैठकें बुधवार 03 जुलाई से आरम्भ होंगी। इससे पहले मंगलवार को विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधान सभा में सर्वदलीय बैठक बुलाई। देवनानी की राजस्थान विधान सभा में सदन चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है। देवनानी ने सदन को शांतिपूर्ण चलाने के लिए सभी दलों से सहयोग की अपील की है।
देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधान सभा का यह पवित्र सदन प्रदेश की आठ करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करता है। सदन की कार्यवाही को आम जनता देखती है। प्रदेश की जनता से चुनकर आये जनप्रतिनिधिगण अपने आचरण और व्यवहार को जन आकांक्षाओं के अनुकूल प्रस्तुत करें, ताकि विधान सभा का नाम रोशन हो सके। श्री देवनानी ने कहा कि विधान सभा सदन नियमों व मर्यादाओं से चलेगा। उन्होंने सभी दलों से सदन को शांतिपूर्वक चलाने में सहयोग करने और सार्थक बहस में अपनी बात समय सीमा में रखने के लिए कहा।
देवनानी ने की सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता -
विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा। विधान सभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक सोच रखनी होगी। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सोलहवीं विधान सभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों की है।
लंच ब्रेक पर चर्चा -
देवनानी ने बैठक में मध्यान्ह भोजन अन्तराल के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोक सभा की तर्ज पर राजस्थान विधान सभा में भी भोजन अन्तराल का निश्चित समय तय किया जा सकता है। इससे एक ही समय पर सभी विधायकगण भोजन कर सकेंगे और उसके बाद पुनः सदन में सभी सदस्य कार्यवाही में भाग ले सकेंगे। श्री देवनानी के इस प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद सभी दल के प्रतिनिधियों ने इसे अच्छी पहल बताते हुए सहमति व्यक्त की
92 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब विधान सभा को प्राप्त हुए-
अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बताया कि प्रथम सत्र के 2054 प्रश्नों में से 92 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब विधान सभा को प्राप्त हो गये है। अब 177 प्रश्नों के जवाब आना शेष है। देवनानी ने कहा कि यह शुभ लक्षण है। शेष रहे प्रश्नों के जवाब भी विधान सभा को शीघ्र प्राप्त होने की उम्मीद है। बैठक में तय किया गया कि नया सत्र आरम्भ होने से पहले गत सत्र के सभी प्रश्नों के जवाब विधान सभा को आवश्यक रूप से प्राप्त हो जाने चाहिए।
शालीनता से मुद्दे उठायें, सदन में सभी को मिलेगा बोलने का मौका विधान सभा—
देवनानी ने कहा कि सभी दलों को चर्चा के लिए नियमानुसार समय आवंटित किया जायेगा। समय सीमा में ही सदस्य अधिक से अधिक अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि यह दलों के नेताओं कि जिम्मेदारी होगी कि उनके दल का सदस्य सदन में अपनी बात को आवंटित समय में ही रखने का प्रयास करे। श्री देवनानी ने कहा कि सभी सदस्यगण शालीनता से मुद्दे उठाये।
जनहित के मुद्दों पर बहस के लिए आवश्यकता होने पर सदन देर तक भी चलेगा-
देवनानी ने कहा कि यह सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। इस स्थल की गरिमा को बनाएँ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी। इसके लिए यदि सदन को देर तक चलाने की आवश्यकता होगी तो सदन को देर तक चलाया जायेगा। उन्होनें कहा कि समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होगा। यहां पर सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जायेगा, उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जायेगा।
स्वस्थ आलोचनाओं से कार्य में आती है नवीन गति -
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि सदन में अपनी अपनी बात रखने के लिए पक्ष व प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों की भावना एक समान होती है। सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका मिले इसके लिए पूरे प्रयास किये जाएँ। सदस्य भी अपनी बात समय सीमा में रखने का प्रयास करें। उन्होनें कहा कि स्वस्थ आलोचनाओं से कार्य में नवीन गति आती है।
सदन चलाने की जिम्मेदारी पक्ष के साथ प्रतिपक्ष की भी -
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आश्वस्त किया कि प्रतिपक्ष सदन संचालन में सहयोग करेगा। प्रतिपक्ष के सदस्य सदन में मर्यादापूर्ण व्यवहार से अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि सदन में रखी गयी बातों को सरकार गंभीरता से ले। सदन चलाने की जिम्मेदारी पक्ष के साथ प्रतिपक्ष की भी है।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि राजस्थान विधान सभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की यह ऐतिहासिक पहल है। सदन संचालन में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे। उन्होनें बैठक में उपस्थित होने वाले पक्ष व प्रतिपक्ष के नेतागण का आभार ज्ञापित किया।
बैठक में सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, बसपा के मनोज कुमार, भारत आदिवासी पार्टी के थावर चन्द और रालोद के डॉ. सुभाष गर्ग भी मौजूद थे।
बैठक में आये महत्वपूर्ण सुझाव - बैठक में सदन में पहले से चल रही पर्ची पर बोलने की व्यवस्था को फिर से लागू किये जाने. समितियों की रिपोर्ट पर बहस कराये जाने, महत्वपूर्ण मुद्दों को शून्यकाल से पहले अध्यक्ष के ध्यान में लाने और अधिकारियों की उपस्थिति को सुनिश्चित किये जाने के सुझाव भी आये