जोधपुर काजरी में विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस पर विशेषज्ञों की ऑनलाइन चर्चा

जोधपुर काजरी में विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस पर विशेषज्ञों की ऑनलाइन चर्चा

जोधपुर: भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित परियोजना, मरुस्थलीकरण नियंत्रण पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी) के तहत काजरी संस्थान में विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में विशेषज्ञों द्वारा एक ऑनलाइन चर्चा का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन ईआईएसीपी के प्रभारी डॉ. पी. सी. महाराणा के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने सभी आगंतुकों को संबोधित करते हुए इस दिवस के महत्त्व और मरुस्थलीकरण को रोकने एवं सूखे से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। डॉ. महाराणा ने संयुक्त राष्ट्र संघ की मरुस्थलीकरण रोकथाम संधि (यूएनसीसीडी) द्वारा भूमि-क्षरण को पुनः स्थापित करने के आह्वान और भारत की 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि पुनर्स्थापन के लक्ष्यों की जानकारी दी।

संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. सुमन्त व्यास ने अपने उद्बोधन में पश्चिमी राजस्थान के थार मरुस्थलीय क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं और उनकी रोकथाम के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने इन क्षेत्रों में मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए काजरी द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों का परिचय दिया। इसके साथ ही, डॉ. व्यास ने राजस्थान में भूमि क्षरण को कम करने में इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) के तीन प्रकार के जल उपयोग और उनके प्रभावों पर भी जानकारी दी।

विशेषज्ञ चर्चा के दौरान विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए:

  • डॉ. दीपेश माचिवाल ने मृदा एवं जल संरक्षण अभियांत्रिकी पर,
  • डॉ. मनोज परिहार ने मृदा विज्ञान एवं भूमि-क्षरण पर,
  • डॉ. बी.एल. मंजुनाथ ने कृषि विस्तार पर,
  • डॉ. आनंद नोरम ने मृदा विज्ञान पर,
  • डॉ. आर.एन. कुमावत ने कृषि विज्ञान एवं चारा संसाधनों में प्रयुक्त छत जल प्रबंधन पर,
  • डॉ. एच.एल. कुशवाह ने कृषि अभियांत्रिकी पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

ईआईएसीपी के सदस्य डॉ. विपिन चौधरी ने मरुस्थलीकरण की रोकथाम में बहु-विषयक दृष्टिकोण के बारे में बताते हुए सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मयूर भाटी, सोनाली और अविनाश ने किया।

इस चर्चा ने मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम के लिए किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयासों और तकनीकों की जानकारी साझा की, जो इन समस्याओं से निपटने में सहायक सिद्ध होगी।