फागोत्सव का देशभर में हुआ आगाज ब्रजमंडल की लट्ठामार होली
◆ विभिन्नता और त्योहारों के देश के नाम से प्रसिद्ध अपना भारत जिसमें त्यौहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और बात अगर आए होली की तो उसमें सबके सिर रंग चढ़कर बोलता है।
◆ देशभर में होली के विभिन्न मान्यताओं के अनुसार 1 सप्ताह 2 सप्ताह पहले गायन नृत्य और अलग-अलग प्रकार की होली का उत्सव का आगाज हो जाता है।
ब्रजमंडल की लट्ठामार होली के बारे में
◆ अपने देश में ऐसी ही अनोखी होलियों में शुमारएक अनोखी होली भगवान कृष्ण की नगरी ब्रज मंडल में धूम है। यहां पूरे फागुन होली का उल्लास रहता है।
◆ ब्रज मंडल का अधिकतर इलाका उत्तरप्रदेश में है, लेकिन राजस्थान के भरतपुर जिले के कुछ इलाके भी इसमें शामिल हैं।
◆ ऐसे में भरतपुर से भी फाग खेलने बड़ी तादाद में श्रद्धालु उत्तरप्रदेश के बरसाना, नंदगांव, मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन जाते हैं।
◆ मंगलवार 29 फरवरी 2023 को बरसाना के राधा रानी मंदिर में फागुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर परंपरागत लट्ठामार होली खेली गई। ◆ मुख्य मंदिर की सीढ़ियों के सामने यह आयोजन किया गया, जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु बरसाना पहुंचे।
◆ श्रद्धालु बड़ी तादाद में भरतपुर, करौली, जयपुर, धौलपुर, दौसा, अलवर से बरसाना पहुंचे।
◆ बरसाना की लट्ठमार होली का आयोजन शाम 5 बजे से राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने हुआ। दोपहर से ही छोटे से कस्बे बरसाना की गलियों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो गई।
◆ बरसाना में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग छतों से इस श्रद्धालुओं के रेले को देख रहे थे और ऊपर से गुलाल, पिचकारी के साथ श्रीराधे का स्वर भी बरसा रहे थे।
◆ परंपरा के अनुसार अपनी-अपनी ढाल लेकर बरसाना से 8 किलोमीटर दूर नंदगांव के ग्वाले (होरियार) युवा बरसाना पहुंचे।
◆ यहां शाम के बाद प्राचीन राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने जुटे होरियारों के ढाल पर सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने जमकर लाठियां बरसाईं। आस-पास खड़े लोग महिलाओं को और जोर से हाथ चलाने की बात कहते रहे।
◆ इस दौरान हंसी-ठिठोली का वातावरण रहा और चारों तरफ श्रीराधे की गूंज सुनाई दी। आयोजक मंडल ने मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर ये नजारा देखा। साथ ही बरसाना की गलियों में घरों की छतों से भी महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने इस दृश्य का आनंद लिया।
◆ ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण और राधा के समय से ही यह परंपरा है। श्रीकृष्ण के गांव नंदगांव से होरियारे राधा रानी के गांव बरसाना पहुंचते थे और राधा व उनकी सहेलियों के साथ होली खेलते थे, वे उनके हुड़दंग से तंग आकर लाठियों से उनका स्वागत करतीं थीं।
◆ नवमी के दिन नंदगांव से बरसाना पहुंचे होरियार वहां लट्ठ खाते हैं तो दूसरे दिन दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंच जाते हैं। आज बुधवार को नंदगांव में होली का उत्सव चल रहा है। यहां नंदभवन में होली की खूब धूम मच रही है।
लट्ठामार होली के पीछे की मान्यता
◆ ऐसा माना जाता है कि कृष्ण अपनी मित्र मंडली के साथ राधारानी और उनकी सखियों से होली खेलने बरसाना पहुंचते थे, उनके साथ ठिठोली करते थे, वे राधारानी और उनकी सहेलियों को तंग करते तो वे ग्वालों पर डंडे बरसाया करती थीं।
◆ लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाले ढालों का प्रयोग करते थे। यही धीरे-धीरे ब्रज होली की परंपरा बन गई।
◆ इस होली की सबसे रोचक बात यह है कि यह मारना-पीटना हंसी-खुशी के वातावरण में होता है। ◆ बरसाना की औरतें अपने गांवों के पुरूषों पर लाठियां नहीं बरसातीं। आसपास खड़े लोग रंग बरसाते दिखते हैं।
◆ इससे पहले 27 फरवरी, 2023 को बरसाना में लड्डुओं और फूलों की होली खेली गई।